फ्लाइट से दिल्ली आकर दवा खरीदने को मजबूर हैं कश्मीरी
नई दिल्ली: कश्मीर घाटी में आम जनता को किन पीड़ाओं से गुजरना पड़ रहा है इसकी बानगी 30 साल के साजिद अली की कहानी से अंदाजा लगाया जा सकता है। अली अपनी 65 वर्षीय डायबिटिक मां की दवाई के लिए ऐसे भटके कि उन्हें इसके लिए खास तौर पर फ्लाइट से दिल्ली का रुख करना पड़ा। अली के मुताबिक वह पिछले 30 साल में ऐसी स्थिति का सामना पहली दफे कर रहे हैं। 5 अगस्त के बाद केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को मिलने वाले स्पेशल स्टेटस अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया और शेष राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया। इसके बाद स्थिति को कंट्रोल में करने के लिए तब से खास तौर पर घाटी में अभी भी लॉक-डाउन की स्थिति बनी हुई है। इसी माहौल में अपनी डायबिटिक मां की दवाई के लिए मंगलवार को साजिद अली घाटी का कोना-कोना छान मारे। वह एक दर्जन से अधिक फार्मेसियों में गए। एक तो दवा की दुकानें बंद थीं और जो खुली थीं उनमें उनकी मां की दवाई नहीं थी।
एक न्यूज़ चैनल की रिपोर्ट में बताया गया है कि साजिद अली की मां सू्र्या बेगम के पास केवल दो दिन की दवा बची थी। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए उन्होंने सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध नहीं होने के कारण एक स्थानीय अस्पताल से एंबुलेंस हायर किया और श्रीनगर की यात्रा की। लेकिन, श्रीनगर में तीन घंटे की तलाशी के बावजूद उन्हें दवा नहीं मिल सकी। इस स्थिति में उन्होंने श्रीनगर हवाई अड्डे का रुख किया और दिल्ली के लिए रवाना हो गए। साजिद ने दिल्ली से दोबारा अगले दिन उड़ान भरी और मां को दवाई मुहैया करा पाए। वहीं, इस दौरान घर पर उनके मां-बाप उनके बारे में फिक्रमंद रहे और जब वह घर पहुंचे तब सभी को राहत मिली। अली की माने तो वह एक व्यापारी हैं और दिल्ली तक जाने में सक्षम थे। वह कहते हैं कि वह उन लोगों के बारे में क्या जो गरीब हैं और जिनके पास पैसे की कमी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक घाटी में दवाओं की भयंकर कमी है। ग्रामीण इलाकों में स्टॉक पहले ही कम है। जानकारी के मुताबिक एलओसी के पास स्थित कस्बों और गांवों में अहम दवाई पहले ही खत्म हो चुकी हैं। न्यूज 18 ने एक मेडिकल स्टोर के हवाले से बताया है कि अधिकांश मेडिकल स्टोर के पास एंटीबायोटिक्स ही बचे हैं और जीवन रक्षक दवाओं का भयंकर अकाल पड़ा हुआ है। ब्लड प्रेशर, डायबिटीज आदि के लिए दवाओं की काफी कमी है और स्टोर तक इनकी पहुंच अभी सुनिश्चित नहीं की जा सकती है। वहीं, मरीजों में दवाओं की कमी को लेकर काफी गुस्सा भी देखा जा रहा है। उरी के नामला गांव के रहने वाले मोहम्मद इस्माइल ने न्यूज18 को बताया, “मैं पिछले एक हफ्ते से अपने पिता के लिए इंसुलिन की तलाश कर रहा हूं लेकिन इसमें हासिल करने में असमर्थ हूं।” सरकार खाद्य स्टॉक और ईंधन की उपलब्धता के बारे में दावे कर रही है लेकिन कोऊी दवा की कमी की तरफ नहीं देख रहा है।