पश्चिम बंगाल में वाम दलों के साथ मिलकर उपचुनाव लड़ेगी कांग्रेस
नई दिल्ली: कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पश्चिम बंगाल में होने वाले विधान सभा उप चुनावों के लिए राज्य में कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन को अपनी मंजूरी दे दी है। कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि लोकसभा चुनाव में राज्य में खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी ने यह फैसला लिया है। सूत्रों के मुताबिक सोनिया ने शुक्रवार रात को दिल्ली में पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष सोमेन मित्रा के साथ बैठक की थी और राज्य में आगामी विधानसभा उपचुनावों समेत विभिन्न सांगठनिक विषयों पर चर्चा की थी।
मित्रा ने कहा, ‘‘हमने सोनिया जी को राज्य में आगामी उपचुनाव के लिए वाम मोर्चा की सीट बंटवारे पर सहमति के बारे में जानकारी दी। उन्होंने हमसे कहा कि अगर वाम मोर्चा तैयार है तो दोनों पार्टियों को राज्य में गठजोड़ बनाना चाहिए।’’ राज्य में सीट बंटवारे का फैसला कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व ने लिया क्योंकि राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद उस समय खाली था। इस महीने की शुरूआत में पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष चुनी गयीं सोनिया गांधी ने प्रदेश नेतृत्व के फैसले पर मुहर लगा दी।
बता दें कि लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में कांग्रेस ने मात्र दो सीटें जीती थीं, जबकि वाम दलों को एक भी सीट नहीं मिल सकी थी। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘हमारे राज्य के अध्यक्ष ने सोनियाजी को सूचित किया कि तीन सीटों पर उप चुनाव होने हैं, इनमें नादिया जिले में करीमपुर, मिदनापोर जिले में खड़गपुर और उत्तम दिनाजपुर जिले के कालीगंज विधानसभा सीट शामिल है।” बतौर कांग्रेस नेता उनकी पार्टी खड़गपुर और कालीगंज सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी जबकि वाम मोर्चा करीमपुर सीट से उम्मीदवार उतारेगा।
कांग्रेस के विधायक परमाथनाथ रॉय की मौत के बाद कालीगंज सीट खाली हुई थी जबकि खड़गपुर सीट बीजेपी विधायक और प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष के सांसद बनने से खाली हुई है। घोष ने मेदिनीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और विजयी रहे थे। वहीं, करीमपुर से टीएमसी की विधायक महुआ मोइत्रा कृष्मानगर लोकसभा सीट से जीती हैं।
बीते कुछ हफ्तों से पश्चिम बंगाल कांग्रेस राज्य में फिर से वाम मोर्चे के साथ गठबंधन की उम्मीद कर रही थी। राज्य के कांग्रेस और वाम नेताओं की बंगाल में टीएमसी और भाजपा का सामना करने की रणनीति रही है। फिर से उप चुनावों में मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है।