भोपाल: बाजार में बिकने वाले दूषित पदार्थों के खिलाफ अनूठी पहल के तहत मध्यप्रदेश सरकार ने घोषणा की है कि खाने-पीने की चीजों में मिलावट करने वाले लोगों के बारे में प्रशासन को पक्की खबर देने वाले व्यक्ति को 11 हजार रुपये का नकद इनाम दिया जायेगा।

राज्य के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तुलसीराम सिलावट ने शुक्रवार को यहां संवाददाताओं से कहा, "जो भी व्यक्ति प्रदेश में खाने-पीने की चीजों में मिलावट करने वाले लोगों के बारे में पक्की सूचना संबंधित जिला प्रशासन तक पहुंचायेगा, उसे जिलाधिकारी द्वारा 11,000 रुपये का नकद पुरस्कार दिया जायेगा। सूचनाकर्ता का नाम भी गुप्त रखा जायेगा।"

सिलावट ने बताया कि प्रदेश सरकार ने सिंथेटिक दूध और मिलावटी दुग्ध उत्पादों का कारोबार करने वाले गिरोहों के खिलाफ पहले ही अभियान छेड़ रखा है। उन्होंने बताया, "हमने उज्जैन में नकली घी बनाने का कारखाना चलाने वाले एक व्यक्ति को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत बृहस्पतिवार को गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया।"

लोक स्वास्थ्य मंत्री ने चेतावनी भरे लहजे में कहा, "खाने-पीने की चीजों में मिलावट करने वाले लोग या तो मध्यप्रदेश छोड़ दें या जेल की सलाखों के पीछे जाने को तैयार रहें। मिलावट रोकने के लिये हमने राज्य सरकार के संबंधित कानूनों में संशोधन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है जिसके तहत प्रावधानों को सख्त बनाया जायेगा।"

इस बीच, राज्य के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव पल्लवी जैन गोविल ने बताया कि खाने-पीने की चीजों में मिलावट करने वाले लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाकर पिछले साल उनसे करीब सात करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला गया है।

उन्होंने बताया कि खाने-पीने की चीजों और दवाओं की गुणवत्ता जांचने के लिये इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में नयी प्रयोगशालाओं का निर्माण अलग-अलग चरणों में शुरू किया जायेगा। इसके अलावा, भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की मान्यताप्राप्त प्रयोगशालाओं से गठजोड़ कर पुख्ता नेटवर्क तैयार किया गया है। गोविल ने बताया कि दिल्ली सरकार की मोहल्ला क्लीनिक योजना की तर्ज पर मध्यप्रदेश के 25 स्थानों पर पायलट परियोजना के तहत "संजीवनी क्लीनिक" खोले जायेंगे।