जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाए जाने पर उमर अब्दुल्ला ने जताई नाराज़गी
नई दिल्ली: लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह पूरे फॉर्म में थे। घाटी के दो दिन के दौरे के बाद उन्होंने सदन में सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले गुर्जर और बक्करवाल समाज के लिए आरक्षण और 6 महीने राष्ट्रपति शासन का प्रस्ताव रखा जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने धारा 370 के बारे में विपक्षी दलों पर निशाना साधा। ये बात अलग है कि राष्ट्रपति शासन के विरोध में नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दु्ल्ला ने कहा कि ये स्वीकार्य नहीं है।
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र सरकार घाटी के लोगों की भावना को नहीं समझ रही है। केंद्र की सरकार अपनी मनमर्जी चला रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नक्शेकदम पर बीजेपी क्यों चल रही है। लोकसभा में राष्ट्रपति शासन और 356 पर कांग्रेस की तरफ से विरोध के सुर सुनाई पड़े। लेकिन अमित शाह ने कहा कि जो लोग विरोध कर रहे हैं उन्हें याद करना चाहिए कि उन लोगों ने क्या किया था।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि राज्य में हालात अभी विधानसभा चुनाव कराने के लिए उपयुक्त नहीं है लिहाजा राष्ट्रपति शासन को और 6 महीने बढा़ने की सिफारिश की गई है। इसमें किसी तरह की राजनीति नहीं है। अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि कम से कम कांग्रेस को नैतिक तौर पर यह कहने का हक नहीं है कि उसका दामन धारा 356 पर पाक साफ रहा है। कांग्रेस के शासन में इस धारा का जितना दुरुपयोग हुआ था उतना कभी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि जब से जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल वहां की व्यवस्था देख रहे हैं हालात बदले हैं।
अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस के साथ साथ उन लोगों को सोचना चाहिए कि आखिर पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं है। देश का एक तिहाई हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में है। लेकिन इन दलों ने कभी भी उस दिशा में नहीं सोचा। आज जब केंद्र सरकार एलओसी, एलएसी और इंटरनेशनल सीमा के पास रहने वालों के जीवन स्तर में सुधार के लिए कदम उठा रही है तो उन्हें अच्छा नहीं लग रहा है।