काले धन की गणना का कोई विश्वसनीय नहीं: वित्त विभाग
नई दिल्ली: भारत में काला धन एक बड़ी समस्या है। अब इस समस्या की गंभीरता को दिखाती एक खबर आयी है। दरअसल विभिन्न अध्ययनों और अनुमानों के मुताबिक देश में काला धन कुल साल 2009-10 और 2010-11 की कुल जीडीपी का 7% से लेकर 120% तक हो सकता है। वित्त विभाग की संसदीय कमेटी ने इसका खुलासा किया है। अपनी रिपोर्ट में वित्त विभाग की स्थायी कमेटी ने यह भी कहा है कि अभी तक ऐसा कोई विश्वसनीय जरिया नहीं है, जिसके आधार पर काले धन की ठीक तरह से गणना की जा सके। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2010 में देश की कुल जीडीपी 64.5 ट्रिलियन रुपए थी, वहीं वित्त वर्ष 2011 में देश की जीडीपी 76.7 ट्रिलियन रुपए थी। अनुमान के मुताबिक इस दौरान देश में काला धन करीब 4.5-77.4 ट्रिलियन रुपए से लेकर 5.3-92.08 ट्रिलियन रुपए रहा।
खबर के अनुसार, यह अनुमान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (NIPFP), नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकॉनोमिक रिसर्च (NCAER) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंस मैनेजमेंट (NIFM) द्वारा पेश किए गए हैं। वित्त विभाग की स्थायी समिति ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की। इस रिपोर्ट में उपरोक्त संस्थानों के अध्ययन का भी जिक्र किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, साल 1980 से लेकर 2010 के बीच भारत से करीब 216 बिलियन डॉलर से लेकर 490 बिलियन डॉलर के बीच का काला धन विदेश गया है।
विभिन्न अध्ययनों के मुताबिक जिन क्षेत्रों में बेहिसाब आय की गुंजाइश है, उनमें रियल एस्टेट, खनन, फार्मास्यूटिकल, पान मसाला, गुटका-तंबाकू, कमोडिटी मार्केट, फिल्म इंडस्ट्री, शिक्षण संस्थान आदि हैं। सिक्योरिटी मार्केट और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में भी काले धन का काफी प्रभाव है। NIPFP की रिपोर्ट के अनुसार, देश में काला धन देश की कुल अर्थव्यवस्था के 10 प्रतिशत से लेकर 72 प्रतिशत तक हो सकता है। NIFM की रिपोर्ट के अनुसार, यह आंकड़ा 7 प्रतिशत से लेकर 42 प्रतिशत तक हो सकता है। वहीं NCAER के मुताबिक यह आंकड़ा 55 प्रतिशत से लेकर 120 प्रतिशत तक भी हो सकता है।
स्थायी समिति की अध्यक्षता वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने की। समिति ने अपनी रिपोर्ट में डायरेक्ट टैक्स कोड (DTC) को जल्द से जल्द लागू करने का दबाव डाला है, ताकि देश में डायरेक्ट टैक्स कानून को आसान बनाया जा सके। मोइली ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए बताया कि मौजूदा इन्कम टैक्स एक्ट अपने विभिन्न संशोधनों के चलते काला धन के पैदा होने का बड़ा कारण बन गया है। मोइली ने जोर देकर कहा कि आयकर कानून में संशोधन करने के बजाए पूरे कानून का सरलीकरण करने की जरुरत है। उल्लेखनीय है कि डायरेक्ट टैक्स कोड और आयकर कानून में बदलाव को लेकर वित्त मंत्रालय के तहत बनी कमेटी 31 जुलाई को अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। उल्लेखनीय है कि साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किया गया था। यह एसआईटी अभी तक 5 रिपोर्ट पेश कर चुकी है।