OBC रिजर्वेशन का नया फॉर्मूला ला सकती है मोदी सरकार
नई दिल्ली: केंद्र में दोबारा आई नरेंद्र मोदी सरकार ओबीसी को मिलने वाले 27 फीसदी आरक्षण का बंटवारा ओबीसी जातियों के बीच तीन हिस्सों में कर सकती है। हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के एक पैनल ने ओबीसी रिजर्वेशन में बंटवारे की सिफारिश की है। माना जा रहा है कि मोदी सरकार के 100 दिन के एजेंडे में इस पर विचार किया जा सकता है। ओबीसी रिजर्वेशन में बंटवारे की सिफारिश ‘ओबीसी में अन्य पिछड़ा वर्ग के उप-वर्गीकरण का आयोग’ ने की है। अगर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने आयोग की सिपारिशें मान लीं तो सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों में आमूलचूल परिवर्तन देखने को मिल सकता है। फिलहाल, मंत्रालय आयोग के प्रस्ताव पर यह विचार करेगा कि इसे लागू किया जाए या नहीं।
मौजूदा व्यवस्था के तहत केंद्र सरकार की नौकरियों और शिक्षा में मिलने वाले 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण में 2633 जातियों का एक ही वर्ग है। सरकारी पैनल ने सिफारिश की है कि इस 27 फीसदी कोटे को तीन हिस्सों में बांट दिया जाय। आयोग का तर्क है कि इन 2633 जातियों में जो लाभान्वित नहीं हो सके, उन्हें 10 फीसदी के कैटगरी में रखा जाय। इसी तरह आंशिक लाभ उठाने वाली जातियों को भी दूसरे सब कैटगरी में रखा जाय। उसे भी 10 फीसदी आरक्षण मिले लेकिन जिन जातियों ने पहले भी फायदा उठाया है, उसे सात फीसदी के कैटगरी में रखा जाय। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर एचटी ने बताया है कि मात्र 10 फीसदी उप जातियां 25 फीसदी आरक्षण का लाभ उठा रही हैं मगर 983 ऐसी उप जातियां है जिन्होंने 27 फीसदी आरक्षण का लाभ कभी नहीं उठाया है।
पैनल ने आजादी से पहले 1931 के जातीय जनगणना के आधार पर अध्ययन किया है। बता दें कि 1931 के बाद आज तक एक भी जातीय जनगणना नहीं हुई है। माना जा रहा है कि 2021 में होने वाली जनगणना में 90 साल बाद पहली बार ओबीसी की गिनती की जाएगी। दिल्ली हाईकोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस जी रोहिणी की अध्यक्षता वाला आयोग अपने रिरोर्ट को अंतिर रूप देने में जुटा है। माना जा रहा है कि आयोग अगले महीने सरकार को अपनी विस्तृत रिपोर्ट सौंपेगा। आयोग के परामर्श
पत्र के मुताबिक, जिन समुदायों को आरक्षण का लगभग कोई लाभ नहीं मिल सका है, उनमें कई पेशेवर जातियां है- जैसे कि पारंपरिक रूप से टिन पॉलिश करने वाली जाति या चाकू को धार देकर तेज करने वाली जातियां भी शामिल हैं। इनके अलावा कई अन्य जातीय समूह भी हाशिए पर हैं।