नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर काफी हो-हल्ला हुआ था, पर अब गृह मंत्री अमित शाह के मंत्रालय ने इस बारे में जानकारी देने से साफ इन्कार कर दिया है। मंत्रालय ने इसके पीछे सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम की कुछ धाराओं का हवाला दिया है। कहा है कि अधिनियम की धाराओं के तहत जानकारी साझा नहीं की जा सकती है। अगर ऐसा किया गया, तो जांच में दिक्कत आएगी। मंत्रालय की यह प्रतिक्रिया उस आरटीआई पर आई है, जिसमें कांग्रेस चीफ की नागरिकता को लेकर सवाल किया गया था।

दरअसल, राज्यसभा से बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने राहुल की नागरिकता को लेकर आरटीआई डाली थी। वह उसके जरिए जानना चाहते थे कि राहुल भारतीय हैं या किसी और देश के नागरिक हैं? अप्रैल में इसी मसले पर मंत्रालय ने राहुल को एक नोटिस भेजा था, जिसमें उनसे इस मसले पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा गया था।

ताजा मामले में ‘पीटीआई’ की ओर से एक आरटीआई के जरिए मंत्रालय से राहुल को तब भेजे गए नोटिस और उनकी तरफ से आए जवाब के बारे में पूछा गया, जबकि जवाब आया, “आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (एच) और (जे) के तहत जानकारी साझा नहीं की जा सकती है।”

आगे कहा गया, “धारा 8 (1) (एच), जांच में बाधा पैदा करने वाली जानकारी साझा करने से रोकती है, जबकि उसका प्रावधान (जे) के अंतर्गत किसी की निजी जानकारी, जिसके सामने आने से सार्वजनिक गतिविधि या घटना का लेना-देना नहीं होता।” स्वामी की चिट्ठी का हवाला देते हुए मंत्रालय ने अपने नोटिस में कहा कि हमने पाया कि बैकऑप्स लिमिटेड नाम की कंपनी 2003 में यूके में रजिस्टर कराई गई थी, जिसके निदेशकों में राहुल भी शामिल थे।

मंत्रालय ने अनुसार, स्वामी के पत्र में यह बताया गया था कि ब्रिटिश कंपनी के वार्षिक आयकर रिटर्न्स (10 अक्टूबर, 2005 और 31 अक्टूबर 2006 को फाइल किए गए) के मुताबिक, राहुल की जन्मतिथि 19 जून 1970 है और उन्होंने खुद को ब्रिटिश नागरिक घोषित कर रखा था।

हालांकि, राहुल की बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस विवाद को पूरी तरह से बकवास करार दिया था। उन्होंने कहा था कि सभी जानते हैं कि राहुल यहीं पैदा हुए और बड़े हुए। बकौल प्रियंका, “पूरा भारत जानता है कि राहुल हिंदुस्तानी हैं।”