नई दिल्ली: बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में यादव वोट बीएसपी के पक्ष में ट्रांसफर नहीं हुए हैं इसलिए बीएसपी अब उत्तर प्रदेश में 11 सीटों पर होने वाले विधानसभा उप चुनाव में अकेले लड़ेगी. हालांकि बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने इस फैसले को लेकर कोई औपचारिक ऐलान नहीं किया है लेकिन उन्होंने यह बात अपनी पार्टी के नेताओं के साथ बैठक में कही है. वहीं सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव इस समय आजमगढ़ में हैं और वहां रैली को संबोधित कर रहे हैं. इस खबर के बाद माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में महागठबंधन में दरार पड़ गई है. मायावती का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब समाजवादी पार्टी में इस बात की समीक्षा हो रही है कि बीएसपी के साथ गठबंधन पर कितना फायदा या नुकसान हुआ है.

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को मात्र 5 सीटें आई हैं और पिछले चुनाव में एक भी सीटें न जीत पाने वाली बीएसपी को 10 सीटें मिल गईं. इस नतीजे के बाद समाजवादी पार्टी में अंदर ही अंदर इस बात की चर्चा की थी कि बीएसपी का वोट सपा को ट्रांसफर नही हुई है. इस बात की आशंका सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने पहले ही जता दी थी और उनकी बात सही साबित हुई. गौरतलब है कि बसपा के साथ गठबंधन के बावजूद समाजवादी पार्टी को महज पांच सीटें ही मिली हैं. इतना ही नहीं सपा के दुर्ग कहे जाने वाले कन्नौज, बदायूं और फिरोजाबाद में परिवार के सदस्य चुनाव हार गए.

कई लोगों का यह भी कहना है कि गठबंधन के सीट बंटवारे में मायावती ने मन मुताबिक सीटें ले लीं. वोटों के अदान-प्रदान के लहजे से देखें तो जिन 10 सीटों पर बसपा ने जीत दर्ज की है, वहां सपा 2014 में दूसरे स्थान पर थी. इसी कारण सपा को असफलता मिली. नगीना, बिजनौर, श्रावस्ती, गाजीपुर सीटों पर सपा के पक्ष में समीकरण था. दूसरा कारण गठबंधन की केमेस्ट्री जमीन तक नहीं पहुंची. सभाओं में भीड़ देखकर इन्हें लगा कि हमारे वोट एक-दूसरे को ट्रान्सफर हो जाएंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं." मायावती को यह मालूम था कि मुस्लिम वोटरों पर मुलायम की वजह से सपा की अच्छी पकड़ है. इसका फायदा मायावती को हुआ. मायावती ने जीतने वाली सीटें अपने खाते में ले ली. कई सीटों पर बसपा उम्मीदवार बहुत मामूली अंतर से हार गए. इसमें मेरठ और मछली शहर शामिल हैं। मछली शहर में मो बसपा उम्मीदवार टी. राम अपने भाजपा प्रतिद्वंद्वी बी.पी. सरोस से मात्र 181 मतों से हार गए.

राजनीतिक विश्लेषक राजेन्द्र सिंह के अनुसार, "चुनाव में सपा-बसपा के नेताओं ने तो गठबंधन कर लिया, लेकिन यह जिला और ब्लाक स्तर पर कार्यकर्ताओं को नहीं भाया. आधी सीटें दूसरे दल को देने से उस क्षेत्र विशेष में उस दल के जिला या ब्लाक स्तरीय नेताओं को अपना भविष्य अंधकारमय दिखने लगा." इन सबका परिणाम यह हुआ कि सपा का वोट प्रतिशत 2014 के लोकसभा चुनाव के 22.35 प्रतिशत से घटकर इस बार 17.96 फीसदी रह गया। वोट प्रतितशत बसपा का भी घटा, लेकिन उसके वोट सीटों में बदल गए. 2014 के आम चुनाव में बसपा को 19.77 प्रतिशत मत मिले थे, जो इस बार घटकर 19.26 फीसदी रह गए. कुल मिलाकर समाजवादी पार्टी पहले कोई फैसला कर पाती तो बीएसपी सुप्रीमो ने एक तरह से समाजवादी पार्टी से रिश्ता तोड़ने का ऐलान कर दिया.