नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के लिए हर दल और गठबंधन अपने-अपने समीकरण बना रहा है ताकि 23 मई को परिणाम आने के बाद सरकार के गठन में उनकी ओर से कोई कसर न रहे. इसी कड़ी में दावा किया जा रहा है कि परिणाम से पहले संयुक्त विपक्ष, प्रधानमंत्री पद के चेहरे का ऐलान कर देगा. इस मुद्दे पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अगर गठबंधन में प्रधानमंत्री का पद कांग्रेस को नहीं भी मिलती तो भी यह कोई मुद्दा नहीं होगा.

बिहार की राजधानी पटना में एक प्रेस वार्ता में आजाद ने कहा, 'लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने से पहले शीर्ष पद के लिए उम्मीदवार पर आम सहमति का स्वागत किया जाएगा, लेकिन प्रधानमंत्री की कुर्सी की पेशकश नहीं करने पर पार्टी इसे मुद्दा नहीं बनाएगी.'

लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण से ठीक पहले आजाद के इस बयान को सहयोगी दलों के साथ-साथ कांग्रेस के भावी सहयोगियों के लिए संकेत के रूप में देखा जा रहा है.कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी कई बार पीएम पद के लिए इनकार किया है जबकि एमके स्टालिन, तेजस्वी यादव और यहां तक कि अरविंद केजरीवाल सरीखे नेताओं ने कहा है कि वे गांधी का समर्थन करने के लिए तैयार हैं. वहीं शरद पवार जैसे दिग्गज पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और मायावती का नाम आगे बढ़ा रहे हैं.

राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस का इकलौता उद्देश्य है कि वह NDA सरकार को सत्ता से बाहर कर दे. उन्होंने कहा, 'आखिरी चरण का चुनाव बाकी है और मैं देश भर में चुनाव प्रचार के दौरान अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि न तो भाजपा और न ही NDA सत्ता में वापसी करने वाली है. नरेंद्र मोदी भी दूसरी बार प्रधानमंत्री नहीं बनने जा रहे हैं … लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में गैर-एनडीए गैर-भाजपा सरकार बनेगी.'

पटना में पत्रकारों से बात करते हुए आजाद ने पीएम पद के लिए राहुल की उम्मीदवारी पर कहा, 'अगर हमें इस पद के लिए आमंत्रित नहीं किया जाता तो हम इसे मुद्दा नहीं बनाएंगे.' आजाद ने कहा कि 2014 में केंद्र में सत्ता में आने के बाद बीजेपी का 'पर्दाफाश' हुआ है क्योंकि इसने समाज में 'घृणा फैलाने और बंटवारा करने' की नीति पर काम किया है.