नई दिल्ली: इशरत जहां एनकाउंटर मामले में सीबीआई की एक स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार (2 अप्रैल 2019) को सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी डीजी वंजारा और एन के अमीन को सभी आरोपों से बरी कर दिया है। वंजारा ने 26 मार्च को उनके खिलाफ दायर शिकायत पर कार्रवाही को बंद करने की मांग की थी। गुजरात सरकार द्वारा सीबीआई को मुकदमा चलाने की मंजूरी से मना करने के बाद यह याचिका दायर की गई थी।

कोर्ट के सामने सीबीआई ने कहा था कि डीजी वंजारा और एनके अमीन पर मुकदमा चलाने के लिए गुजरात सरकार द्वारा मिलने वाली अनुमति की समयसीमा उसके हाथ में नहीं। कोर्ट ने 30 अप्रैल को इस मामले में अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट के इस फैसले पर वंजारा के वकील ने कहा कि ‘कोर्ट के आदेश से साफ हो गया है कि यह एनकाउंटर फर्जी नहीं था।’

बता दें कि सीआरपीसी की धारा 197 के तहत सरकारी नौकर के खिलाफ कर्तव्य निर्वाह के दौरान के किए गए कार्य को लेकर केस चलाने के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य है। कोर्ट ने कहा है कि धारा 197 के तहत दोनों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। वहीं पीड़ित पक्ष की ओर से कहा गया है कि वह मामले को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे। सीबीआई ने जो सबूत पेश किए उनके आधार पर उन्हें आरोपों से मुक्त कर दिया।

मालूम हो कि 19 साल की इशरत और उसके दोस्‍त प्रणेश पिल्‍लई उर्फ जावेद शेख और दो कथित पाकिस्‍तानी नागरिकों- जीशान जौहर और अमजियाली राणा को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में साल 2004 में हुई कथित मुठभेड़ में मार दिया गया था। पुलिस ने दावा किया था कि चारों ‘आतंकी’ थे और तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्‍या करने के लिए निकले थे।