नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने राफेल पुनिर्विचार याचिका मामले की सुनवाई टालने की मांग की है। सरकार का कहना है कि उसे जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए वक्त चाहिए इसलिए मंगलवार को प्रस्तावित सुनवाई टाल दी जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। केंद्र ने राफेल मामले पर पुनर्विचार पर सुनवाई स्थगित करने के पत्र को प्रसारित करने के लिए उच्चतम न्यायालय की सहमति मांगी है। केंद्र ने याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने की जरूरत को आधार बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सुनवाई स्थगित करने के पत्र को मामले के पक्षों तक भेजने की अनुमति दे दी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मोदी सरकार से कहा कि कोर्ट के साथ हाइड एंड सीक का खेल क्यों खेल रहे हैं? चीफ जस्टिस ने कहा कि केंद्र के वकील जवाबी हलफनामा दाखिल करना चाहते हैं लेकिन ये नहीं बता रहे कि वो राफेल मामले में कल दोपहर होने वाली सुनवाई में हलफनामा दाखिल करना चाहते हैं।

इससे पहले केंद्र को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राफेल मामले में अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिये लीक दस्तावेजों को आधार बनाने की अनुमति दे दी और उन दस्तावेजों पर ‘विशेषाधिकार’ होने की केंद्र की प्रारंभिक आपत्तियों को खारिज कर दिया।

केंद्र ने कहा था कि तीन विशेषाधिकार वाले दस्तावेज अनधिकृत तरीके से रक्षा मंत्रालय से हासिल किये गए और याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत के 14 दिसंबर 2018 के फैसले के खिलाफ अपनी पुनर्विचार याचिकाओं के समर्थन में इनका इस्तेमाल किया। न्यायालय ने अपने उस फैसले में फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीद को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था।