अब अपने आश्रय स्थल से भी दर्ज करा सकेंगी केस दहेज प्रताड़ना की शिकार महिलाएं
नई दिल्ली : दहेज प्रताड़ना का सामना करने वाली महिलाओं को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। शीर्ष न्यायालय ने मंगलवार को अपने एक अहम फैसले में कहा कि दहेज प्रताड़ना के कारण अपने ससुराल से बाहर रहने वाली महिलाएं उस स्थान से जहां वह रहती हैं, अपने पति एवं उसके परिवार के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करा सकती हैं। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि विवाहित महिला का जहां ससुराल है, वहीं पर मामला दर्ज हो।
पीठ ने अपने फैसले में कहा कि पीड़ित महिला शादी से पहले और बाद में जहां रहती है उस स्थान के अलावा वह शरण लिए हुए स्थान से भी दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज करा सकती है। शीर्ष न्यायालय ने उत्तर प्रदेश की रूपाली देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह अहम फैसला सुनाया। दरअसल,अभी तक यह व्यवस्था थी कि पीड़ित महिला को अपने वैवाहिक स्थल पर ही केस लड़ना पड़ता था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद दहेज प्रताड़ना की शिकार महिलाओं को बड़ी राहत मिलेगी क्योंकि अब वह किसी स्थान से भी प्रताड़ना का केस दर्ज करा सकेंगी।
भारत में दहेज प्रताड़ना पर रोक लगाने के लिए कड़े कानून मौजूद हैं। इसके बावजूद देश भर में दहेज के लिए महिलाएं अपने पति एवं ससुराल पक्ष की प्रताड़ना का शिकार होती रहती हैं। देहज प्रताड़ना के ज्यादातर मामले पुलिस और कोर्ट तक पहुंच भी नहीं पाते। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से दहेज प्रताड़ना की शिकार महिलाओं को बड़ी राहत मिलेगी और अब वह अपने शरण लिए हुए जगह से भी अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ मामला दर्ज करा सकेंगी।