बाबरी मस्जिद का विध्वंस नहीं चाहते थे कल्याण सिंह, सहयोगी का दावा
नई दिल्ली: राजस्थान के राज्यपाल और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह अध्योध्या में बाबरी मस्जिद का विध्वंस नहीं चाहते थे। यह दावा उनके पूर्व सहयोगी अनिल स्वरूप ने किया है, जो कि यूपी कैडर से आईएएस रह चुके हैं। उन्होंने ‘द हिंदू’ से गुरुवार को कहा, “कल्याण सिंह बाबरी मस्जिद का विध्वंस कभी भी नहीं चाहते थे। उसके पीछे की वजह बेहद सरल थी। वह बाबरी विध्वंस के परिणामों से अच्छी तरह वाकिफ थे।”
दरअसल, स्वरूप की कुछ ही दिनों पहले ‘नॉट जस्ट ए सिविल सर्वेंट’ किताब आई है, जिसका प्रचार-प्रसार करने वह बुधवार को चेन्नई में थे। कल्याण सिंह जब जून 1991 से दिसंबर 1992 के बीच यूपी के सीएम रहे, तब वह सूचना और जन संपर्क विभाग के निदेशक पद पर थे। उनकी किताब के मुताबिक, छह दिसंबर 1992 को सिंह को जब मस्जिद गिराए जाने के बारे में मालूम चला, तब वह काफी नाराज और निराश हो गए थे।
सिंह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से नाखुश थे, जिसे लेकर उन्होंने राजस्थान के तत्कालीन सीएम भैरो सिंह शेखावत से फोन पर बात भी की थी। सिंह ने उनसे इस मसले पर अपनी पीड़ा और पार्टी के खिलाफ नाराजगी जाहिर की थी। यही नहीं, उन्होंने वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी से भी संपर्क साधा थे, जो कि उस समय अध्योध्या में ही थे।
स्वरूप का दावा है कि ये सारी बातें जब हुईं, तब वह सीएम के साथ मौजूद रहने वाले वह इकलौते शख्स थे। उनके मुताबिक, मुख्यमंत्री के नाते कल्याण सिंह का मकसद यूपी को बनाना था, न कि बाबरी मस्जिद के विध्वंस सरीखे घटनाक्रमों से उसे बिखरते देखना था।
अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट में स्वरूप के हवाले से आगे कहा गया कि तत्कालीन यूपी सीएम ने विध्वंस को लेकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेता अशोक सिंघल के खिलाफ भी नाराजगी जताई थी। सिंह ने उन्हीं पर देश को हुए इतने बड़े नुकसान का जिम्मेदार बताया था।