सऊदी अरब के मध्यस्थता प्रस्ताव को भारत ने ठुकराया
नई दिल्ली: सऊदी अरब के विदेश राज्य मंत्री अदेल अल जुबैर सोमवार को चार घंटे के लिए भारत यात्रा पर आ रहे हैं. हवाई अड्डे से वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन करेंगे, इसके बाद वह विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ बैठक करेंगे और फिर तुरंत वापस लौट जाएंगे. पिछले 20 दिनों में भारतीय पक्ष के साथ उनकी यह तीसरी बातचीत होगी, इतने कम समय के लिए उनकी भारत यात्रा पर सबकी नजरे हैं.
पिछले हफ्ते जब भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर थे, तब जुबैर ने पाकिस्तान का दौरा किया था. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने खुद घोषणा की थी कि मोहम्मद बिन सलमान के एक महत्वपूर्ण संदेश के साथ अल जुबैर 1 मार्च को इस्लामाबाद का दौरा करेंगे. हालांकि बाद में बताया गया कि अल जुबैर अबु धाबी वापस चले गए और सुषमा स्वराज के साथ अलग से बात की.
न्यूज 18 को पता चला कि अबु धाबी में सुषमा स्वराज से छोटी से मुलाकात के बाद सऊदी पक्ष ने भारत की विदेश मंत्री से बातचीत के लिए 2 मार्च को नई दिल्ली आने में दिलचस्पी दिखाई थी. यह भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने के लिए खाड़ी देश की कोशिश थी. हालांकि भारत ने स्पष्ट कर दिया कि उसे किसी मध्यस्थ की जरूरत नहीं है.
एक विश्वस्त सूत्र ने बताया कि भारत ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है कि उपमहाद्वीप में बनी तनावपूर्ण स्थिति का कारण आतंकवाद है. भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की जरूरत नहीं है. जरूरत केवल इस बात की है कि पाकिस्तान अपनी धरती पर चल रहे आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करे.
एक अन्य सूत्र ने बताया कि ऐसा प्रतीत होता है कि सऊदी अरब खुद को मध्यस्थ के रूप में प्रोजेक्ट करना चाहता था. सऊदी मंत्री पिछले हफ्ते इस्लामाबाद से सीधे नई दिल्ली आना चाहते थे. हालांकि भारत ने साफ किया अगर क्राउन प्रिंस सलमान के दौरे के दौरान हुई बातों को आगे बढ़ाना है तो ठीक है वर्ना भारत-पाकिस्तान को लेकर कोई बात नहीं होगी.
भले ही भारत मध्यस्थ की जरूरत से इनकार कर रहा है, लेकिन अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने एक प्रेस इंट्रेक्शन के दौरान कहा कि अमेरिका ने दोनों देशों के बीच तनाव कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. चीन के विदेश मंत्री ने भी कुछ इसी तरह का दावा किया है. यह दावे इसके बावजूद हो रहे हैं जब भारत किसी भी तरह की मध्यस्था की जरूरत से इनकार कर रहा है.