अकबर इलाहाबादी ने सदैव इस्लामी सभ्यता एवं संस्कृति का पास रखाः सलमा हिजाब
अल्लामा सै0 सुलैमान नदवी एजूकेशनल वेलफेयर सोसायटी के तत्वधान’’अकबर इलाहाबादी की मजाहिया शायरी’’ पर संगोष्ठी का आयोजन
लखनऊ: अकबर को भाषा पर अच्छी पकड़ थी। उन्होंने सार्वजनिक बोल-चाल की भाषा और अंगेजी के प्रचलित शब्दों का अपने मिजाहिया शायरी में सर्वाधिक उपयोग कर इसे नई दिशा प्रदान की जिसका तत्समय लोगों ने कल्पना भी नहीं किया होगा। उक्त विचार का व्यक्त सलमा हिजाब ने अल्लामा सै0 सुलैमान नदवी एजूकेश नल वेलफेयर सोसायटी के तत्वधान व उ0प्र0 उर्दू एकेडमी के सहयोग से आयोजित संगोष्ठी ’’अकबर इलाहाबादी की मजाहिया शायरी’’ स्थित हक़ प्लाजा साबिरया हाॅल, लखनऊ में किया।
मुख्य अतिथि शफाअत हुसैन, निदेश क, वक्फ विकास निगम ने कहा कि लिसानुल असर के लकब से सरफराज अकबर इलाहाबादी ने सदैव इस्लामी सभ्यता एवं संस्कृति का पास रखा और मुसलमानों से आग्रह किया कि वह अपने इस्लामी सभ्यता एवं संस्कृति से दस्तबरदार न हों।
मुख्य विशिष्ट अतिथि इंजीनियर महबूब ने कहा कि अकबर इस वक्त तक उर्दू के तंजो मिजाह के सबसे बड़े नुमाइंदे हेैं।
मेहमाने एजाजी एस0एम0 हसीब पूर्व जिला न्यायाधीश लखनऊ ने कहा कि अदब सिर्फ शेर व शायरी या दास्ताॅं गोई व फसाना साजी नहीं बल्कि तंकीदे हयात का नाम है।
संगोष्ठि में मकालानिगार डाॅ0 सै0 मो0 सबीह, जियाउल्लाह सिद्दीकी नदवी, नसरीन हामिद मौलाना इष्तियाक अहमद कादरी, डाॅ0 मसीहुददीन खान ने अपना-अपना पुरमगज मकाला प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का प्रारम्भ तिलावते क़ुरआन पाक के बाद नात व मंकबत प्रस्तुत की गयी। सेमिनार के कंवेनर एस0 ताहा अब्बास नजफी ने प्रारम्भ शब्द अदा किये और मैनेजर अनवर फात्मा ने सोसायटी के उद्देश्यों पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला और उपस्थित सभी अतिथियों का अभिनन्दन किया। संगोष्ठ का सुन्दर संचालन डाॅ0 उमैर मंजर ने किया।