लोकतंत्र में विशवास रखने वालों को एक मंच पर आना होगा: प्रशांत भूषण
लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण ने लखनऊ में कहा कि आज जिस तरह का राजनैतिक-सामाजिक माहौल बनाया जा रहा है, उसके चलते न सिर्फ हमारा गणतंत्र और संविधान, बल्कि समाज और भी सभ्यता भी बड़े खतरे में है। इन्हें बचाने के लिए लोकतंत्र और भारतीयता में विश्वास रखने वाले सभी लोगों को एक मंच पर आना होगा। प्रशांत भूषण आज लखनऊ में स्वराज अभियान द्वारा आयोजित एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे।
इसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने गणतंत्र की पुनर्बहाली (Reclaiming the Republic) शीर्षक से एक दस्तावेज़ जारी किया।उन्होंने बताया कि विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मिलकर आगामी चुनाव में देश के नागरिकों के एजेन्डा के तौर पर यह दस्तावेज़ तैयार किया है। उन्होंने बताया कि इस दस्तावेज को सभी राजनीतिक दलों के साथ साझा किया जाएगा, तथा उनसे अपेक्षा की जाएगी कि आने वाले चुनाव में वे इस दस्तावेज में दिए गए सुझावों को अपने चुनावी घोषणा पत्र में प्रमुखता से शामिल करें।
उन्होंने बताया कि उनके संयोजन तथा जस्टिस ए पी शाह की अध्यक्षता में बनी एक टीम ने इस दस्तावेज़ को तैयार किया है। इनमें अरुणा रॉय, बेजवाड़ा विल्सन, अंजलि भारद्वाज, योगेंद्र यादव, दीपक नय्यर, ई ए एस शर्मा, गोपाल गुरु, गोपाल गाँधी, हर्ष मंदर, जयति घोष, कविता कुरुगुंटी, कृष्ण कुमार, निखिल डे, पॉल दिवाकर, प्रभात पटनायक, पी साईनाथ, रवि चोपड़ा, एस पी शुक्ला, श्रीनाथ रेड्डी, सुजाता राव, शक्ति सेल्वराज, सैयदा हमीद, विपुल मुद्गल, वजाहत हबीबुल्लाह आदि जाने- माने सामाजिक कार्यकर्ता तथा विशेषज्ञ शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि इस दस्तावेज के कुल 11 खंडों में सरकारों की जवाबदेही तथा जनता की अधिक हिस्सेदारी, न्यायिक तथा चुनाव सुधार, लोकतंत्र विरोधी काले कानूनों की समाप्ति, मीडिया सुधार, रोजगार, खाद्य सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, वंचित वर्गों की अधिकतम सहभागिता तथा सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण से जुड़े जरूरी मुद्दे शामिल किए गए हैं।
इससे पहले लखनऊ के गंगाप्रसाद मेमोरियल हॉल में एक बड़ी सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज देश का माहौल बेहद खतरनाक हो गया है। अल्पसंख्यक, दलित, आदिवासी, मजदूर, किसान, युवा तथा सभी वंचित वर्गों के लोग अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। मौजूदा सरकार सभी लोकतांत्रिक तथा संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। देश को पूरी तरह से चुनिंदा पूंजीपति घरानों के हवाले कर दिया गया है। दुर्भाग्यवश मीडिया का एक बड़ा वर्ग भी इन सभी मुद्दों को प्रखरता से उठाने के बजाए नफ़रत और उन्माद फैलाने में लगा है। सरकारों की गलत नीतियों से आर्थिक असमानता लगातार बढ़ती ही जा रही है। देश के 9 सबसे अमीर लोगों के पास जितनी संपत्ति है, वह देश की 60 फ़ीसदी सबसे ग़रीब आबादी लोगों की कुल सम्पत्ति के बराबर है।
उन्होंने इन सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए सभी लोकतंत्र तथा संविधान की रक्षा के लिए कार्यरत सभी शक्तियों को एकजुट होने की अपील की।
इस सभा को संबोधित करते हुए स्वराज अभियान की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य अखिलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि फासीवादी ताकतों से मुक्ति पाना इस समय हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। हमें धर्म तथा युद्ध के उन्माद के बीच दब गए असल मुद्दों को ऊपर उठाना होगा।
सभा की अध्यक्षता सेवानिवृत्त आई पी एस एस आर दारापुरी ने की। सभा का संचालन किसान मजदूर मंच के प्रमुख अजित यादव ने किया। सभा को इलाहाबाद विश्विद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष लालबहादुर सिंह, स्वराज अभियान की प्रदेश अध्यक्ष अर्चना, स्वराज इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष अनमोल तथा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजीव ध्यानी, यू पी वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर, उत्तर प्रदेश जन मंच के नितिन मिश्रा आदि ने संबोधित किया।
सभा में पूर्व सांसद इलियास आज़मी, रिहाई मंच के मोहम्मद शोएब तथा राजीव यादव , इंसानी बिरादरी के सृजनयोगी आदियोग, छात्रनेता राजेश सचान तथा सचेन्द्र प्रताप, यूथ फ़ॉर स्वराज के राष्ट्रीय महासचिव ऋषभ रंजन, लुआक्टा की महासचिव अंशू केडिया, युवा शक्ति संगठन के गौरव सिंह आदि की महत्वपूर्ण उपस्थिति रही।