नई दिल्ली : अपने 65 साल के इतिहास में 200 लाख करोड़ रुपए से अधिक की 12 पंचवर्षीय और छह सालाना योजनाएं शुरू करने वाला योजना आयोग आज से नीति आयोग कहलाएगा। योजना आयोग के नए स्वरूप का नाम बदलकर ‘नीति आयोग’ कर दिया गया है। गौरतलब है कि इस संस्था की स्थापना 1950 के दशक में हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा योजना आयोग की जगह नई संस्था की स्थापना की घोषणा के कुछ महीनों बाद यह पहल हुई है।

मोदी की मुख्यमंत्रियों के साथ हुई बैठक के करीब तीन सप्ताह बाद यह फैसला आया जिसमें ज्यादातर समाजवादी इस संस्था के पुनर्गठन के पक्ष में थे, लेकिन कुछ कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों ने मौजूदा ढांचे को खत्म करने का विरोध किया था। मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में घोषणा की थी कि योजना आयोग की जगह पर एक नयी संस्था बनाई जाएगी जो समकालीन आर्थिक दुनिया के अनुरूप हो। ख्मंत्रियों को सात दिसंबर को संबोधित करते हुए उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का हवाला दिया था, जिन्होंने पिछले साल 30 अप्रैल को कहा था कि सुधार प्रक्रिया शुरू होने के बाद के दौर में मौजूदा ढांचे का कोई अत्याधुनिक नजरिया नहीं है। उन्होंने ऐसे प्रभावी ढांचे की बात की थी जिससे ‘सहयोगी संघ’ और ‘टीम इंडिया’ की अवधारणा मजबूत होती हो।

योजना आयोग के रूप में चर्चित यह संस्थान मार्च 1950 में एक साधारण सरकारी प्रस्ताव के जरिए गठित की गयी थी। इसने कई राजनीति एवं आर्थिक उतार-चढ़ाव देखे तथा कई बार विवादों का केंद्र भी रही। गरीबी के आंकलन, खुद की इमारत में शौचालय मरम्मत पर मोटे खर्च व पिछले उपाध्यक्ष की विदेश यात्राओं के खर्च को लेकर इससे जुड़ी कुछ ऐसी चर्चाएं हैं जो आने वाले समय में भी याद की जाती रहेंगी। योजना आयोग की स्थापना सरकार की संसाधनों के उचित दोहन, उत्पादन बढ़ाने और रोजगार के मौके प्रदान कर लोगों का जीवन-स्तर बढ़ाने के घोषित लक्ष्यों की प्राप्ति के साधन के तौर पर की गई थी। आयोग को देश के सभी संसाधनों के आंकलन, जो संसाधन कम हैं उनको बढ़ाना, संसाधनों के सबसे प्रभावी तथा संतुलित उपयोग और प्राथमिकताएं तय करने का जिम्मा सौंपा गया था।