नई दिल्ली: सुप्रीम के पूर्व जस्टिस मदन बी लोकुर ने बुधवार को कहा कि वह इस बात से निराश हैं कि शीर्ष कोर्ट के कॉलेजियम का 12 दिसंबर का फैसला अदालत की वेबसाइट पर नहीं डाला गया। हाईकोर्ट के न्यायाधीशों जस्टिस प्रदीप नंदराजोग और जस्टिस राजेंद्र मेनन को शीर्ष अदालत में पदोन्नत नहीं किये जाने पर उन्होंने कहा कि कॉलेजियम में जो कुछ होता है वह गोपनीय है और विश्वास एक महत्वपूर्ण कारक है।

तीस दिसंबर 2018 को सेवानिवृत्त हुए न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि उनकी सेवानिवृत्ति के बाद कौन से अतिरिक्त दस्तावेज सामने आए।

उन्होंने न्यायपालिका में भाई भतीजावाद के दावों को खारिज किया और कहा कि उन्हें नहीं लगता कि कॉलेजियम व्यवस्था नाकाम हो गई है। न्यायमूर्ति लोकूर ने कहा कि कॉलेजियम की बैठकों में स्वस्थ्य चर्चाएं होती हैं और सहमति-असहमति इसका हिस्सा है। उन्होंने यहां एक परिचर्चा में कहा कि कॉलेजियम व्यवस्था में कुछ बदलाव लाने की जरूरत है।