ख़त्म होने के बावजूद मोदी सरकार वसूलती रही स्वच्छ भारत सेस, कमाए 4,391 करोड़ रुपए
नई दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन योजना को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। दरअसल, इस मिशन को सफल बनाने और इसके लिए पर्याप्त धन मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार ने सभी तरह की सेवाओं पर 0.5% का स्वच्छ भारत सेस (उपकर) लगाया था। नया उपकर वर्ष 2015 से लागू हुआ था। बदली नीतियों के साथ वित्त मंत्रालय ने GST (वस्तु एवं सेवा कर) को सुगम तरीके से लागू करने के लिएधीरे-धीरे कई सेस को खत्म कर दिया। इसके तहत ही केंद्र ने जुलाई 2017 में स्वच्छ भारत सेस को भी समाप्त कर दिया था। हालांकि, सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत दाखिल आवेदन पर सरकार ने चौंकाने वाली जानकारी दी है। वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाले राजस्व विभाग के सिस्टम और डेटा प्रबंधन महानिदेशालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, जुलाई 2017 के बाद भी स्वच्छ भारत सेस वसूला जा रहा है। ‘द वायर’ के मुताबिक, वर्ष 2017 से 30 सितंबर, 2018 के बीच स्वच्छ भारत सेस के तौर पर 4,391.47 करोड़ रुपए वसूले जा चुके हैं। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 4,242.07 करोड़ और वित्त वर्ष 2018-19 (30 सितंबर) में स्वच्छ भारत सेस के मद में 149 करोड़ रुपए की वसूली की जा चुकी है।
सेस बंद करने की राज्यसभा में भी दी थी जानकारी: स्वच्छ भारत सेस को समाप्त करने के बारे में केंद्रीय मंत्री ने राज्यसभा में भी जानकारी दी थी। वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने 6 मार्च, 2018 को राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में बताया था कि 1 जुलाई, 2017 से स्वच्छ भारत सेस और कृषि कल्याण सेस को खत्म कर दिया गया है। इससे पहले वित्त मंत्रालय ने 7 जून, 2017 को प्रेस रिलीज जारी कर स्वच्छ भारत सेस समेत अन्य कई उपकर को 1 जुलाई, 2017 से समाप्त करने की बात कही थी। हालांकि, इसके बार भी सेस वसूला जाता रहा।
20,600 करोड़ रुपए की वसूली: स्वच्छ भारत सेस को वर्ष 2015 में लागू किया गया था। साल 2015 से वर्ष 2018 के बीच इस मद में सरकार ने कुल 20,600 करोड़ रुपए की वसूली की। सरकार का दावा है कि सेस से प्राप्त राशि का स्वच्छ भारत मिशन के तहत चलाई जा रही विभिन्न परियोजनाओं पर खर्च किया जाता है। इसमें शौचालय निर्माण, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और प्रशासनिक व्यय मुख्य तौर पर शामिल हैं।
कहां खर्च हुए हजारों करोड़?: आरटीआई के तहत दाखिल आवेदन में सरकार से सेस के तौर पर वसूली गई राशि को खर्च करने के तौर-तरीकों के बारे में भी जानकारी मांगी गई थी। लेकिन, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने इसका पूरा ब्यौरा नहीं दिया। सिर्फ खर्च की गई राशि के बारे में सूचना दी गई। मंत्रालय ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत वर्ष 2015-16 में 2,400 करोड़, साल 2016-17 में 10,500 करोड़ रुपए और मौजूदा वित्त वर्ष में अब तक 3,400 करोड़ रुपया जारी किया जा चुका है। मंत्रालय ने यह नहीं बताया कि हजारों करोड़ रुपए को किस-किस मद में खर्च किया गया। हालांकि, वसूली गई राशि में से 4,300 करोड़ रुपए जारी नहीं किए गए हैं।