राज्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग कर सही नहीं किया: भाजपा नेता
जम्मू: जम्मू-कश्मीर में कुछ दिनों पहले राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग कर दिया था। इस विधानसभा के एक भाजपा सदस्य डॉक्टर गगन भगत ने राज्यपाल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने कहा, “राज्यपाल भले ही हमारी पार्टी के हैं, लेकिन उन्होंने विधानसभा भंग कर सही नहीं किया। भाजपा के सभी विधायक चाहते हैं कि सदन पहले की तरह बहाल हो, लेकिन वे खुलकर सामने नहीं आए।” भगत जम्मू के एक सुरक्षित विधानसभा रनबीर सिहं पुरा (आरएस पुरा) का प्रतिनिधित्व करते थे, ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते कहा, “राज्यपाल का फैसला असंवैधानिक है। मुझे विश्वास है कि कोर्ट सदन को फिर से बहाल करेगा। जिस तरीके से उन्होंने यह काम किया है, वह उनके पद की गरिमा के अनुसार नहीं है। भले ही वे हमारी पार्टी के हों, लेकिन उन्हें संवैधानिक तरीके से कार्य करना चाहिए था।”
पार्टी के स्टैंड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने और पार्टी छोड़ने संबधी सवाल के जवाब में भगत ने कहा, “मैंने पार्टी को बता दिया है कि ये मेरा मौलिक अधिकार है और मैं सवाल करूंगा। पार्टी ने किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी है क्योंकि सभी विधायक चाहते हैं कि सदन फिर से बहाल हो जाए।” उन्होंने आगे कहा, “दो पार्टियां सरकार बनाने के लिए आगे आई थी, लेकिन राज्यपाल ने 15 मिनट के अंदर विधानसभा को ही भंग कर दिया। कायदे से ये होना चाहिए था कि उन्हें अगले दिन पार्टियों की बैठक बुलाकर फ्लोर टेस्ट करवाना चाहिए था। यदि इस टेस्ट में बहुमत साबित नहीं होता तब विधानसभा को भंग करना चाहिए था। हम इस असंवैधानिक फैसले का विरोध करते हैं। अतीत में हुई इस तरह की गलतियों से हमने सबक सीखा है, इसके बावजूद फिर से ऐसा किया गया।”
राज्यपाल द्वारा पीडीपी, एनसी और कांग्रेस के गठबंधन को ‘अपवित्र गठबंधन’ बताए जाने पर भगत ने कहा, “यह अजीब तर्क है। जब भाजपा पीडीपी के साथ गई थी तब यह पवित्र गठबंधन था! सभी मायनों में एक दूसरे से अलग थे। हमारे में कुछ भी कॉमन नहीं था। दुनिया को देखने का हमारा नजरिया अलग-अलग था। हमारी विचारधाराएं भी अलग-अलग थी। जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर भी हमारा स्टैंड एक दूसरे से अलग था, लेकिन हम साथ आए और सरकार बनाए। ऐसी स्थिति में पीडीपी, एनसी और कांग्रेस के बीच का गठबंधन अलग कैसे है? हमारे और पीडीपी के बीच जितनी समानताएं थी, उससे अधिक उन सब के बीच में है।”
वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंद्र गुप्ता से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट में भगत के द्वारा दायर की गई याचिका उनका अपना निजी फैसला है। पार्टी के तौर पर भाजपा ने राज्यपाल के फैसले का विरोध नहीं किया है। राज्यपाल को जो करना था, उन्होंने किया। अब हमें आगे बढ़ने की जरूरत है। भंग किए सदन में के सभी भाजपा विधायक पार्टी के साथ थे।”