हनुमान जी के बारे में एक और खुलासा, मोदी के मंत्री ने कहा, आर्य थे बजरंगबली
नई दिल्ली: राजस्थान विधानसभा चुनाव में रैली के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा हनुमान जी को दलित बताने पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. हनुमान जी की जाति को लेकर भारतीय जनता पार्टी के ही दो दिग्गज आमने सामने हैं. एक ओर जहां सीएम योगी आदित्यनाथ बजरंगबली को दलित बता रहे हैं, वहीं मोदी सरकार में मंत्री सत्यपाल सिंह का कहना है कि हनुमन जी आर्य थे. केंद्रीय मंत्री सत्यपाल मलिक ने कहा कि भगवान राम और हनुमान जी के युग में कोई जाति व्यवस्था नहीं थी. इसलिए हनुमान जी आर्य थे.
शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा कि 'भगवान राम और हनुमान जी के युग में इस देश में कोई जाति व्यवस्था नहीं थी, कोई दलित, वंचित, शोषित नहीं था. वाल्मीकी रामायण और रामचरितमानस को आप पढ़ेंगे तो आपको मालूम चलेगा कि उस समय को जाति व्यवस्था नहीं थी.' उन्होंने आगे कहा कि 'हनुमान जी आर्य थे. इस बात को मैंने स्पष्ट किया है, उस समय आर्य जाति थी और हनुमान जी उसी आर्य जाति के महापुरुष थे.'
दरअसल, राजस्थान के अलवर में मंगलवार को एक रैली को संबोधित करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि 'बजरंगबली एक ऐसे लोक देवता हैं, जो स्वंय वनवासी हैं, निर्वासी हैं, दलित हैं, वंचित हैं. भारतीय समुदाय को उत्तर से लेकर दक्षिण तक पुरब से पश्चिम तक सबको जोड़ने का काम बजरंगबली करते हैं.'
हालांकि, सीएम योगी के इस बयान की खूब आलोचना हुई. 'राजस्थान सर्व ब्राह्मण महासभा' नाम के एक संगठन ने सीएम योगी को लीगल नोटिस भेजा. इस नोटिस में तीन दिन में माफी मांगने की मांग की गई थी. इसके साथ ही उन पर वोटों के लिए हनुमान जी की जाति को बीच में लाने का आरोप लगाया गया. संगठन के प्रमुख सुरेश मेहता ने नोटिस में कहा कि योगी आदित्यनाथ ने कई श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है.
सीएम योगी ने इससे पहले भी हनुमान जी का जिक्र रैली को संबोधित करते हुए अपने भाषण में किया था. मध्य प्रदेश में एक रैली के दौरान उन्होंने एमपी कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ पर निशाना साधते हुए कहा था, 'कांग्रेस को केवल मुस्लिम वोटों की जरूरत है. कमलनाथ जी आप अपना अली रखिए, हमारे लिए बजरंग बली काफी है.' बता दें कि सीएम योगी के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनकी खूब आलोचना हुई. ट्विटर, फेसबुक पर कई तरह के मेम्स बनाए जा गए. बता दें कि इससे पहले शहरों के नामों को लेकर भी योगी आदित्यनाथ विवादों में रहे हैं.