अवैध कब्जों पर सरकार करे ‘श्वेत पत्र‘ का प्रकाशन: राज्यपाल
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र भेजकर कहा है कि अवैध कब्जों पर राज्य सरकार श्वेत पत्र जारी करे। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि अनधिकृत व्यक्तियों एवं संगठनों द्वारा अवैध रूप से कब्जा किये गये पार्कों, मैदानांे, चारागाहों, तालाबों तथा सार्वजनिक महत्व व उपयोग की भूमि/भवनों आदि सम्पत्तियों का क्षेत्रफल, अनुमानित बाजारू मूल्य, उन पर कब से अवैध कब्जा किया गया है तथा अनधिकृत कब्जे से राज्य सरकार, स्थानीय निकायों एवं विकास प्राधिकरणों आदि को हुई क्षति के अनुमानित मूल्य के संबंध में जिलाधिकारियों, विकास प्राधिकरणों तथा स्थानीय निकायों से रिपोर्ट प्राप्त करके राज्य सरकार ’श्वेत पत्र’ का प्रकाशन करे। उन्होंने पत्र में यह भी कहा है कि अवैध कब्जेदारों को हटाकर राज्य सरकार, विकास प्राधिकरणों एवं स्थानीय निकायों आदि के स्वामित्व की सम्पत्तियों को पुनः अपने कब्जे में ले, जिससे मथुरा के जवाहरबाग जैसी दूसरी भयावह घटना पुनः घटित न होे।
राज्यपाल ने अपने पत्र में कहा है कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में राज्य सरकार, स्थानीय निकायों तथा विकास प्राधिकरणों आदि की भूमि/भवनों पर अनधिकृत व्यक्तियों द्वारा लम्बे समय से अवैध कब्जा किया गया है और उन्हें वहाँ से हटाये जाने के लिए न्यायालयों द्वारा समय-समय पर आदेश भी दिये जाते रहे हैं परन्तु फिर भी अनधिकृत कब्जेदारों को हटाया नहीं जा सका है। उन्होंने पत्र में कहा है कि अनधिकृत कब्जेदारों द्वारा राज्य सरकार, स्थानीय निकायों तथा विकास प्राधिकरणों की सम्पत्तियों पर किया गया अवैध कब्जा ’’उत्तर प्रदेश पार्कों, खेल-कूद के मैदानों एवं खुले स्थानों का (संरक्षण एवं नियमन) अधिनियम 1975, उत्तर प्रदेश वृृक्ष-संरक्षण अधिनियम 1976, उत्तर प्रदेश सार्वजनिक सम्पत्ति क्षति निवारण 1984 तथा उत्तर प्रदेश भू-राजस्व संहिता 2006’’ आदि कानूनों एवं विभिन्न स्तर के न्यायालयों द्वारा समय-समय पर दिये गये निर्देशों के सर्वथा विपरीत है।
उल्लेखनीय है कि मथुरा स्थित जवाहरबाग राज्य सरकार के स्वामित्व की सम्पत्ति पर एक निजी संगठन द्वारा पिछले कुछ वर्षों से अनधिकृत रूप से न केवल कब्जा कर लिया गया था अपितु वहां कई तरह की गैरकाूननी गतिविधियाॅं भी संचालित की जा रही थीं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा अवैध कब्जेदारों को जवाहरबाग से हटाये जाने हेतु निर्देश भी दिया गया था जिसका अनुपालन राज्य सरकार द्वारा नहीं कराया जा सका। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष अवमानना याचिका प्रस्तुत किये जाने पर जब मथुरा प्रशासन द्वारा अवैध कब्जेदारों को जवाहरबाग से निष्कासित किये जाने का प्रयास किया गया तो न केवल दो पुलिस अधिकारियों की हत्या कर दी गयी अपितु बड़ी संख्या में अन्य लोग भी हताहत हुए।