फ्रांस में भी उठी राफेल सौदे की जांच की मांग
एनजीओ ने लोक अभियोजक दफ्तर में दर्ज कराई शिकायत
नई दिल्ली: राफेल डील में धांधली की आशंका जताते हुए आर्थिक अपराधों के खिलाफ लड़ाई छेड़ने वाले फ्रांस के एक एनजीओ ने वहां के लोक अभियोजक दफ्तर में शिकायत दर्ज कराई है. एनजीओ ने तथ्यों की गंभीरता से जांच कर यह स्पष्टीकरण उपलब्ध कराने की मांग की है कि आखिर किन नियम कायदों के जरिए भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल विमानों का सौदा हुआ. इसके अलावा राफेल जेट निर्माता कंपनी दसॉल्ट एविएशन की ओर से किस आधार पर अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस को ऑफसेट पार्टनर के रूप में चुना गया. शेरपा(Sherpa) नामक एनजीओ ने कहा है कि उसकी यह शिकायत पूर्व मंत्री और एक भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले वकील की ओर से सीबीआई में दायर शिकायत के आधार पर की गई है.
पूर्व मंत्री और अधिवक्ता की ओर से पूर्व में की गई शिकायत में पीएम मोदी पर पद का दुरुपयोग कर गलत तरीके से राफेल विमानों का सौदा करने का आरोप है. एनजीओ ने अपनी प्रेस रिलीज में कहा है कि यह उम्मीद है कि देश(फ्रांस) का राष्ट्रीय लोक अभियोजक कार्यालय तथ्यों की गंभीरता से जांच कर संभावित भ्रष्टाचार और अनुचित फायदे के बारे में पता लगाएगा. बता दें कि 36 राफेल विमानों के सौदे को लेकर भारत में पिछले काफी समय से राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. कांग्रेस आदि विपक्षी दल मोदी सरकार की ओर से 2016 में फ्रांस के साथ की गई राफेल डील में बड़े घोटाले का आरोप लगाकर जांच की मांग कर रहे हैं.
कांग्रेस का आरोप है कि विमान बनाने के क्षेत्र में बिना किसी अनुभव के ही रिलायंस डिफेंस को59000 करोड़ की राफेल डील में दसॉल्ट ने ऑफसेट पार्टनर के रूप में चुन लिया गया. कांग्रेस का कहना है कि पिछली यूपीए सरकार में दसॉल्ट से 126 राफेल विमानों का सौदा हुआ था. जिसमें 18 विमान उड़ने की स्थिति में मिलने थे और 108 विमानों का निर्माण भारत में सरकारी कंपनी एचएएल की ओर किया जाना था. हालांकि, दासॉल्ट और सरकार ने गांधी के आरोपों को खारिज कर दिया है. दसॉल्ट के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने समाचार एजेंसी एएनआई को बीते दिनों बताया था, "हमने खुद को अंबानी चुना है. हमारे पास रिलायंस के अलावा 30 साझेदार हैं."
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के सिलसिले में पहुंची रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने राहुल गांधी पर आरोप लगाया कि वह राफेल डील पर गुमराह कर रहे हैं. प्रेस कांफ्रेंस में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सीतारमन ने बताया, ‘‘वह (राहुल) पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटोनी के साथ बैठकर बात कर लें तो राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर उनकी सभी गलतफहमी दूर हो जाएगी.'' उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन उनका इरादा इसे समझने का नहीं है. उनका इरादा राफेल सौदे पर लोगों को गुमराह करने का है. इसलिए वह जहां कहीं जाते हैं, लोगों को गुमराह करने के लिए इसे उठाते हैं.'' सीतारमन ने कहा, ‘‘राहुल के कहने पर जनता गुमराह नहीं होगी. हमने बिना दलाली के राफेल सौदा किया है. इससे पहले रक्षा सौदों में रक्षा मंत्रालय में कभी ऐसी पारदर्शिता नहीं थी.''उन्होंने कहा कि कांग्रेस इसे अच्छी तरह से जानती है, लेकिन फिर भी वह लोगों को गुमराह करने के लिए इसे उठा रही है. एक अन्य सवाल के जवाब में सीतारमन ने कहा कि उच्चततम न्यायालय वर्तमान में राफेल सौदे की सुनवाई कर रहा है, इसलिए इस पर इससे ज्यादा टिप्पणी करना ठीक नहीं है.