राजा भैया ने की अपनी नई पार्टी की औपचारिक घोषणा
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के कुंडा से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने शुक्रवार को लखनऊ में अपनी नई पार्टी की औपचारिक घोषणा कर दी. इस दौरान उन्होंने एससी/एसटी कानून और पदोन्नति में आरक्षण के विरोध को पार्टी का मुख्य मुद्दा बताया. कहा कि उनकी पार्टी का नाम जनसत्ता पार्टी हो सकता है. हालांकि पार्टी के पंजीकरण के लिए चुनाव आयोग को तीन नाम भेजे गए हैं, जिसमें जनसत्ता पार्टी, जनसत्ता लोकतांत्रिक पार्टी और जनसत्ता दल जैसे नाम हैं. पार्टी के चुनाव चिह्न के लिए भी आयोग को पत्र लिखा गया है. आयोग ने अभी तक दोनों में से किसी पर मंजूरी नहीं दी है.अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान शुक्रवार को राजा भैया ने कहा कि वह लगातार छठी बार निर्दलीय विधायक चुने गए हैं. क्षेत्र की जनता की मांग पर वह अब अपनी पार्टी बना रहे हैं. पार्टी जल्द ही रैली आयोजित करेगी.
उन्होंने कहा कि चूंकि पार्टी के नाम और चिह्न पर फैसला नहीं हुआ है, ऐसे में लोकसभा चुनाव, 2019 लड़ने पर अभी कुछ तय नहीं हुआ है.‘एससी-एसटी कानून' पर केंद्र को घेरते हुए राजा भैया ने कहा कि यह कदम न्यायोचित नहीं है. इस तरह के मामले में पहले विवेचना, फिर गिरफ्तारी होनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘मैं दलित विरोधी नहीं हूं. उनका हिमायती और हमदर्द हूं. लेकिन, साथ ही एससी-एसटी कानून की आड़ में अगड़ी जातियों के उत्पीड़न के खिलाफ हूं.''राजा भैया ने कहा, ‘‘इसी तरह पदोन्नति में किसी को जाति के आधार पर नहीं बल्कि उसके काम और योग्यता के आधार पर आरक्षण दिया जाए.''गौरतलब है कि राजा भैया का प्रतापगढ़ और इलाहाबाद जिले के कुछ हिस्से में काफी प्रभाव है. उनकी छवि एक दबंग और क्षत्रिय नेता के तौर पर है.
राजा भैया उर्फ कुँवर रघुराज प्रताप सिंह का जन्म 31 अक्टूबर 1967 को पश्चिम बंगाल में हुआ था. वह प्रतापगढ़ के कुंडा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. रघुराज ने महज 24 साल की उम्र में अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था.राजा भैया वर्ष 1993 से 2012 तक कुंडा से लगातार पांच बार निर्दलीय विधायक रहकर रिकार्ड बना चुके हैं. वर्ष 1996 में भाजपा ने भी उन्हें समर्थन दिया था. राजा भैया कल्याण सिंह, दिवंगत राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह व मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में भी मंत्री रहे हैं.2012 में प्रतापगढ़ के कुंडा में डिप्टी एसपी जिया उल-हक की हत्या के सिलसिले में नाम आने के बाद रघुराज प्रताप सिंह को अखिलेश मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा. सीबीआई जांच के दौरान कथित क्लिनचिट मिलने के बाद उनको आठ महीने बाद इन्हें दोबारा मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया था. राजा भैया से पहले कुंडा सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे नियाज हसन का कब्जा रहा. वह वर्ष 1962 से 1889 तक यहां से पांच बार विधायक रहे. राजा भैया के सियासी रसूख के कारण बाबागंज सीट पर वह अपने करीबी विधायक को चुनाव जिताते रहे हैं. इस सीट से उनके करीबी विनोद सरोज चुनाव लड़ते हैं. पहले उनके पिता इस सीट से चुनाव जीतते थे.