नोटबंदी का मकसद कैश को जब्त करना नहीं था: अरुण जेटली
नई दिल्ली: नोटबंदी के दो साल पूरे होने पर कांग्रेस हमलावर दिखी तो सरकार की तरफ से वित्तमंत्री अरुण जेटली इस फैसले के बचाव में उतरे. हर बार की तरह इस बार भी अरुण जेटली ने ब्लॉग लिखकर जवाब दिया. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी फैसले का बचाव करते हुए इसे देश के लिए महत्वपूर्ण फैसलों में से एक बताया. उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि नोटबंदी का मकसद कैश को जब्त करना नहीं था, बल्कि उसे बैंकों के रास्ते औपचारिक अर्थव्यवस्था में लाना था. कांग्रेस ने नोटबंदी के दो साल पूरे होने पर गुरुवार को सिलसिलेवार तरीके से मोदी सरकार पर ट्वीट के जरिए हमला बोला. जिसके जवाब में इस फैसले का बचाव करने केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली उतरे. उन्होंने कई दलीलों के जरिए इस फैसले को सही ठहराने की कोशिश की.
अपने फेसबुक पोस्ट में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा- आठ नवंबर 2016 को हजार और पांच सौ रुपये के बड़े नोटों पर रातोंरात प्रतिबंध लगाने का फैसला सरकार की ओर से उठाए गए महत्वपूर्ण निर्णयों की श्रृंखला में एक कदम रहा. अरुण जेटली ने कहा कि नोटबंदी के फैसले के बाद से लोगों को टैक्स सिस्टम से बचने में मुश्किल हो रही है. उन्होंने कहा कि बैंकों में लगभग पूरी नकदी जमा हो जाने पर भले आलोचना हो रही है, मगर नोटबंदी का फैसले के पीछे नोटों को जब्त करने का ऐसा कोई उद्देश्य था ही नहीं , बल्कि सभी कैश को बैंक खातों के जरिए औपचारिक अर्थव्यवस्था में लाने का मकसद था. इस नाते नोटबंदी की आलोचना का कोई आधार ही नहीं है.
अरुण जेटली ने कहा- नोटबंदी ने लोगों को मजबूर किया कि वह कैश को बैंक में रखें. जिससे धनराशि धारकों का पता चल सके. इसके चलते देश में 17.42 लाख संदिग्ध खाताधारकों की पहचान हुई. जिनसे ऑनलाइन स्पष्टीकरण प्राप्त किया गया. अरुण जेटली ने कहा वित्त वर्ष 2018-19 में (31 अक्टूबर 2018 तक) पर्सनल इनकम टैक्स का कलेक्शन पिछले वर्ष की तुलना में 20.2 प्रतिशत बढ़ा. इसी तरह कारपोरेट टैक्स कलेक्शन पिछले दो वर्षों की तुलना में 19.5 प्रतिशत बढ़ा. वहीं डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में भी वृद्धि हुई.