पंद्रह दिन में ही पीएम मोदी की ‘आयुष्मान भारत’ योजना हुई वित्तीय संकट का शिकार
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य बीमा योजना ‘आयुष्मान भारत’ औपचारिक तौर पर शुरू होने के 15 दिनों के अंदर ही वित्तीय संकट से जूझने लगी है। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) के लिए वित्त वर्ष 2018-19 के लिए शुरुआत में 2000 करोड़ रुपये का फंड आवंटित किया गया था। योजना को लागू कराने की जिम्मेदारी नेशनल हेल्थ एजेंसी (एनएचए) को सौंपी गई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, योजना के लिए प्रारंभ में आवंटित फंड समाप्त हो चुका है। ऐसे में एनएचए ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए वित्त मंत्रालय से 4,500 करोड़ रुपये अतिरिक्त आवंटित करने का अनुरोध किया है। एनएचए के अधिकारियों ने बताया कि 2000 करोड़ रुपये आयुष्मान भारत को अमल में लाने में ही खर्च हो गए। एनएचए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फंड खत्म होने के बाद और धन की मांग को लेकर वित्त मंत्रालय को संशोधित आकलन भेजा गया है। मंत्रालय ने फिलहाल उसे स्वीकृत नहीं किया है।
आयुष्मान भारत को लागू कराने के लिए पर्याप्त राशि न होने से एनएचए के अधिकारियों को समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है। नेशनल हेल्थ एजेंसी के अफसरों का कहना है कि आयुष्मान भारत के सफल क्रियान्वयन में उन्हें गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, इस अधिकारी ने बताया कि सरकार इस महत्वाकांक्षी हेल्थ स्कीम को चलाने को लेकर प्रतिबद्ध है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 सितंबर को आयुष्मान भारत को लॉन्च किया था। इस योजना के तहत 50 करोड़ लोगों को 5 लाख रुपये तक की स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने की व्यवस्था की गई है। इस योजना की घोषणा इस साल के आम बजट में किया गया था। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने योजना की घोषणा करते हुए शुरुआत में 2000 करोड़ का फंड आवंटित करने की घोषणा की थी।
आयुष्मान भारत- नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम (एबी-एनएचपीएस) के तहत तकरीबन 50 करोड़ भारतीयों को 5 लाख रुपये तक की मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं देने का लक्ष्य रखा गया है। इस बार के बजट में इसके लिए महज 2000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई थी। इसको लेकर शुरुआत में भी सवाल उठ चुके हैं। बता दें कि आयुष्मान भारत दुनिया की सबसे बड़ी सरकार समर्थित स्वास्थ्य योजना है। योजना के अंतर्गत आने वाले लोग अस्पताल में भर्ती होने पर इसका फायदा उठा सकते हैं। लाभार्थी सरकारी के साथ पैनल में शामिल अस्पतालों में कैशलेस और पेपरलेस इलाज करा सकेंगे।