रफाएल डील के बचाव में सामने आये वायुसेना प्रमुख
नई दिल्ली: दिल्ली में बुधवार को एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ से पूछा गया कि क्या भारतीय वायुसेना को इस बात की सूचना दी गई थी कि राफेल सौदे में खरीदे जाने वाले विमानों की संख्या 126 से बदलकर 36 की जा रही है. इसके जवाब में एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने कहा, 'उचित स्तर पर भारतीय वायुसेना से परामर्श किया गया था. भारतीय वायुसेना ने कुछ विकल्प दिए थे. उनमें से चुनाव करना सरकार का काम है.' उन्होंने कहा कि दसॉल्ट को ऑफसेट साझेदार का चयन करना था और इसमें सरकार, भारतीय वायु सेना की कोई भूमिका नहीं थी.
भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने कहा कि जो कॉन्ट्रैक्ट HAL को पहले से दिए गए हैं, उनके डिलीवरी शेड्यूल में देरी रही है. सुखोई-30 की डिलीवरी में तीन साल की देरी है. जगुआर में छह साल की देरी है. LCA में पांच साल की देरी है. मिराज 2000 अपग्रेड की डिलीवरी में दो साल की देरी है.
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि हमें अच्छा पैकेज मिला, राफेल सौदे में कई फायदे मिले. उन्होंने बताया, 'सरकारों के बीच हुए सौदे के रूप में दो स्क्वाड्रन खरीदने का फैसला किया गया, ताकि एमरजेंसी आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके. एनएएल (HAL) को ToT (तकनीक हस्तांतरण) तथा लाइसेंसयुक्त उत्पादन के लिए शामिल किया गया था. HAL को दरकिनार कर दिए जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता.' उन्होंने कहा कि राफेल और एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के सौदे बूस्टर डोज़ की तरह हैं. जब भी सरकार इसे मंज़ूरी दे देगी, 24 माह के भीतर डिलीवरी हो जाएगी. उन्होंने कहा, 'भारतीय वायुसेना दुर्घटनाओं को कम करने तथा अपने एयर एसेट सुरक्षित रखने के लिए समग्र प्रयास कर रही है.'
उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘राफेल एक अच्छा लड़ाकू विमान है. यह उपमहाद्वीप के लिये काफी महत्वपूर्ण साबित होगा. ’वायुसेना प्रमुख ने कहा, ‘हमें अच्छा पैकेज मिला, हमें राफेल सौदे में कई फायदे मिले.’ कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष सरकार पर राफेल सौदे में अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस लिमिटेड को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा रहा है. भाजपा ने इन सभी आरोपों को झूठा बताया है. राफेल विवाद में दिलचस्प मोड़ पिछले महीने तब आया जब फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के हवाले से कहा गया कि फ्रांस को दसॉल्ट के वास्ते भारतीय साझेदार चुनने के लिए कोई विकल्प नहीं दिया गया था. भारत सरकार ने फ्रेंच एयरोस्पेस कंपनी के लिए ऑफसेट साझेदार के रूप में रिलायंस के नाम का प्रस्ताव रखा था. मोदी ने 10 अप्रैल 2015 को पेरिस में ओलांद के साथ बातचीत के बाद 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की घोषणा की थी.