मुंबई: सरकार ने सोमवार को कहा कि वह कर्ज में फंसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी आईएलएंडएफएस के लिए आवश्यक पैसे का प्रबंध सुनिश्चित करने को प्रतिबद्ध है ताकि कंपनी को अब आगे किसी अन्य कर्ज का भुगतान करने में चूक नहीं करनी पड़े.वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘ यह बहुत जरूरती हो गया है कि अब किसी अन्य कर्ज के भुगतान में चूक को तत्काल रोका जाए तथा पहले हो चुकी चूक के समाधान के लिए कदम उठाये जाएं.’’ मंत्रालय ने कहा, ‘‘इसके लिए संपत्तियों की बिक्री, कुछ देनदारियों के पुनर्संरचना तथा निवेशकों एवं कर्जदाताओं की ओर से नया धन उपलब्ध कराए जाने जैसे कई कदम उठाने की जरूरत होगी. आईएलएंडएफएस के निदेशक मंडल में बाजार का भरोसा तथा कंपनी को फिर से खड़ा किये जाने की जरूरत है.’’ वित्त मंत्रालय का यह बयान ऐसे समय आया है जबकि राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की महाराष्ट्र पीठ ने सरकार को सोमवार को ही इस कंपनी के निदेशक मंडल पर नियंत्रण करने की अनुमति दे दी है. वित्त मंत्रालय ने कंपनी में पैसे की कमी के बाद भी उसके द्वारा लाभांश का भुगतान जारी रखने और प्रबंधकीय पदों पर भारी-भरकम वेतन देने का जिक्र करते हुए कहा, इससे दिखता है कि प्रबंधन ने पूरा भरोसा खो दिया है.

उसने कहा कि समूह की कुछ कंपनियों के खिलाफ गंभीर शिकायतें भी हैं जिनके लिए गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) द्वारा जांच के आदेश दिये जा चुके हैं. एनसीएलटी ने सरकार की याचिका पर सोमवार को कंपनी के निदेशक मंडल को फिर से गठित करने की अनुमति दे दी है. इसके लिए छह सदस्यों की नियुक्ति की अनुमति दी गयी है जिसमें उदय कोटक को गैर कार्यकारी चेयरमैन बनाया गया है. उदय कोटक के अलावा सेवानिवृत आईएएस अधिकारी विनीत नय्यर, सेबी के पूर्वी चेयरमैन जी.एन. वाजपेयी, आईसीआईसीआई के गैर-कार्यकारी चेयरमैन जी.सी. चतुर्वेदी, आईएएस अधिकारी मालिनी शंकर और कैग से वरिष्ठ नौकरशाह नंद किशोर- शामिल हैं. नए बोर्ड की बैठक 8 अक्टूबर को होगी. नया बोर्ड अपने ही बीच के किसी सदस्य को बोर्ड का अध्यक्ष चुनेगा.

गौरतलब है कि कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि वह कर्ज के बोझ तले दबी इंफ्रास्ट्रक्चर लिजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएलएंडएफएस) कंपनी को बचाने के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम लिमिटेड (एलआईसी) और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) पर दबाव डाल रही है. एलआईसी आईएलएंडएफएस में 25.34 प्रतिशत और एसबीआई 6.42 प्रतिशत की हिस्सेदार है.