मैं लोगों को इतिहास के तौर पर जज नहीं करता, फेयरवेल भाषण में बोले CJI दीपक मिश्रा
नई दिल्ली: चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा मंगलवार को रिटायर हो रहे हैं. अपने फेयरवेल पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि मैं लोगों को इतिहास के तौर पर जज नहीं करता. उन्होंने कहा कि मैं यह भी नहीं कह सकता कि अपनी जुबान रोको, ताकि मैं बोल सकूं. मैं आपकी बात सुनूंगा और अपने तरीके से अपनी बात रखूंगा. मैं लोगों को इतिहास से नहीं उनकी गतिविधियों और सोच से जज करता हूं. उन्होंने कहा कि समता के साथ न्याय यानी 'जस्टिस विद इक्विटी' तब सार्थक होगा जब देश के सुदूर इलाके के हर व्यक्ति को न्याय मिलेगा.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि न्याय का मानवीय चेहरा और मानवीय वैल्यू होना चाहिए. उन्होंने कहा कि गरीब आदमी के आंसू और अमीर के आंसू के बराबर हैं. उन्होंने कहा कि मैं भी युवा पीढ़ी का हिस्सा हूं. इंसाफ का चेहरा और रवैया मानवीय होना चाहिए. न्याय के दोनों पलड़ों में संतुलन होना चाहिए. चीफ जस्टिस ने कहा कि आंसू मोती हैं. मैं उन्हें इंसाफ के दामन से समेटना चाहता हूं. अमीर और गरीब के आंसू अलग-अलग नहीं होते हैं. उन्होंने कहा कि जस्टिस गोगोई न्यायिक स्वायत्तता और गरिमा की आगे बढ़ाते रहेंगे.
चीफ जस्टिस ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका पूरी दुनिया में सबसे मजबूत है. यहां लोगों के अधिकारों को सुरक्षित रखा जाता है. ये सब जजों की वजह से ही संभव है. उन्होंने कहा कि हमलों के बावजूद हमारी न्यायपालिका मजबूती से खड़ी है. उन्होंने कहा कि भारतीय न्यायिक व्यवस्था दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है. मैंने भारतीय न्यायपालिका का संबोधन बदल कर हमारी न्यायपालिका कर दिया है. समता के साथ न्याय यानी 'जस्टिस विद इक्विटी' तब सार्थक होगा जब देश के सुदूर इलाके के हर व्यक्ति को न्याय मिलेगा.
इससे पहले भावी चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि उनका नागरिक स्वतंत्रता में बड़ा योगदान है. न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि न्यायमूर्ति मिश्रा उत्कृष्ठ न्यायाधीश हैं. उन्होंने कहा, 'यदि हम अपने सांविधानिक आदर्शो पर सही मायने में कायम करने में विफल रहे, तो हम एक दूसरे को मारते रहेंगे और नफरत करते रहेंगे.'
न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि शीर्ष अदालत के सभी न्यायाधीश प्रतिबद्ध हैं और वे सदैश प्रतिबद्ध रहेंगे. न्यायमूर्ति गोगोई ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के सम्मान में आयोजित विदाई समारोह को संबोधित करते हुए कहा, 'हम ऐसे समय में रह रहे हैं जिसमें हमें क्या खाना चाहिए, पहनना चाहिए, हमारी निजी जिंदगी की छोटी बातें नहीं रह गई हैं.' न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं.