नई दिल्ली: एक तरफ सरकार देशभर में सर्जिकल स्ट्राइक की याद में पराक्रम पर्व का आयोजन कर रही है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा नेता और केन्द्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने एक ऐसा बयान दिया है, जिस पर शहीद सैनिकों के परिजनों ने कड़ी आपत्ति जतायी है। दरअसल केन्द्रीय इस्पात मंत्री बीरेंद्र सिंह हरियाणा के जींद में एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। यह कार्यक्रम शहीद सैनिकों की वीरांगना पत्नियों को सम्मानित करने के लिए आयोजित किया गया था। कार्यक्रम के दौरान बीरेंद्र सिंह ने अपने एक बयान में कहा कि “वह शहीदों की शहादत पर परिजनों को दी जाने वाली धनराशि में मुख्यमंत्री से कहकर बढ़ोत्तरी कराने का प्रयास करेंगे, क्योंकि साल में प्रदेश का एकाध सैनिक ही मरता है।”

वहीं केन्द्रीय मंत्री के इस बयान पर शहीदों की पत्नियों और परिजनों ने कड़ी आपत्ति जतायी है। शहीदों के परिजनों का कहना है कि एक तरफ सरकार युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित कर रही है, वहीं दूसरी तरफ नेता शहीदों के खिलाफ आपत्तिजनक बातें बोल रहे हैं। शहीदों के परिजनों ने इस बयान पर नाराजगी जताते हुए कहा कि मंत्री अपने बेटों को फौज में भर्ती करवाएं और उन्हें शहादत दिलवाएं, इसके बाद उन्हें शहादत की कीमत पता चलेगी। कार्यक्रम में मौजूद अन्य लोगों ने कहा कि यदि मंत्रियों के बोल इसी तरह बिगड़े रहे वह भविष्य में शहीदों के लिए आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में शामिल नहीं होंगे।

शहीद सैनिकों की पत्नियों का कहना है कि सरकार शहीदों के सम्मान में कार्यक्रमों का आयोजन तो करती है, लेकिन शहीदों को सम्मान किसी भी सरकार ने नहीं दिया। शहीदों के परिजनों को सैकड़ों परेशानियां उठानी पड़ती हैं। उल्लेखनीय है कि ऐसा पहली बार नहीं है कि किसी नेता ने भारतीय सैनिकों की शहादत को लेकर विवादित टिप्पणी की हो, इससे पहले साल की शुरुआत में एक अन्य भाजपा सांसद नेपाल सिंह ने कहा था कि “सेना के जवान तो रोज मरेंगे। ऐसा कोई देश है, जहां सेना का जवान ना मरता हो।” हालांकि बाद में अपने इस बयान पर हंगामा बढ़ते देख भाजपा सांसद ने माफी मांग ली थी। भाजपा सांसद ने अपनी सफाई में कहा था कि उन्होंने सेना का कोई अपमान नहीं किया है।