सुधार प्रस्ताव के साथ मुख्यमंत्री से मिलेंगे सिंचाई अभियंता
लखनऊ: उत्तर प्रदेश इंजीनियर्स एसोसिएशन की सिंचाई शाखा की बैठक सिंचाई भवन मुख्यालय पर आयोजित की गयी। लगभग आठ बजे तक चली इस बैठक में ई-आफिस, ई-प्राक्योरमेन्ट, ई-बजटिंग , ट्रांसफर पोस्टिंग पर जोर दिया गया। इस सम्बंध में अभियंताओं का मत है कि इससे पारदर्शिता, सुचिता और समयबद्धता सुनिश्चित होगी। एसोसिएशन की इस बैठक में 20 प्रस्ताव अधिषासी एवं अधीक्षण अभियंताओं ने रखें। इन प्रस्तावों को लेकर एसोसिएशन ने प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं विभागीय मंत्री से समय मांगा है। यह जानकारी एसोसिशन के अध्यक्ष इं. प्रभात कुमार सिंह ने दी।
अध्यक्ष प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेष इंजीनियर्स एसोसिएशन की सिंचाई विभाग शाखा के सदस्यों की सामान्य सभा की बैठक विभागीय अध्यक्ष, (सिंचाई सिविल) इं. पी.के. सिंह की अध्यक्षता में लखनऊ मुख्यालय में स्थित सभागार में सम्पन्न हुई। बैठक में सिंचाई विभाग के अधिषासी अभियन्ता एवं अधीक्षण अभियन्ता स्तर के अधिकारी भारी संख्या में उपस्थित होकर विचार विमर्ष किया। सिंचाई विभाग के कार्य संस्कृति में पारदर्शिता लाने विभाग को अधिक जिम्मेदार बनाने, अधिक दक्षता एवं सुचिता पूर्वक कार्यों के सम्पादन में आ रही विभिन्न कठिनाइयों एवं समस्याओं को दूर करने के लिये सदस्यों ने अपनी विचार व्यक्त किये जिससे कि सिंचाई विभाग द्वारा जनता की समस्याओं का समय रहते सम्यक निराकरण हो सके तथा प्रदेश के चौमुखी विकास में विभाग का योगदान सुनिश्चित हो सके एवं विभाग एवं अभियन्ता अधिकारियों की छवि में निखार आ सके। विभाग के वरिष्ठ अभियन्ताओं द्वारा इस कार्य हेतु लगभग 8 घंटे की मैराथन विचार मंथन के उपरान्त निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किये तथा यह भी निर्णय लिया गया कि संघ की कार्यकारिणी के द्वारा बैठक में लिये गये निर्णयों से शासन को अवगत कराया जाये तथा मुख्यमंत्री एवं मंत्री सिंचाई विभाग का ध्यान आकृष्ट कराते हुए संघ वार्ता हेतु समय की मांग करें।
प्रस्तावों में कहा गया कि विभाग में कार्यों में पारदर्शिता एवं समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिय ई-आफिस, ई-प्राक्योरमेन्ट, ई-बजटिंग, ई-ट्रांसफर पोस्टिंग, इत्यादि की व्यवस्था को तत्काल लागू किया जाये तथा इसी प्रकार अन्य महत्वपूर्ण कार्य जैसे ट्रांसफर पोस्टिंग, कार्यों का सम्पादन, ई-बजटिंग आदि कार्य की आॅनलाइन एमआईएस पोर्टल के माध्यम से किया जाये।सिंचाई विभाग में अनुरक्षण मद में 13वें वित्त आयोग के प्राविधानों के अनुसार बजट आवंटन तथा प्रत्येक खण्ड में स्थित नहरों ड्रेनों एवं अन्य परिसम्पत्तियों के सापेक्ष पर्याप्त बजट का वितरण किया जाये जिससे कि सभी नहरों इत्यादि का उचित अनुरक्षण किया जा सके। सिंचाई विभाग के अनुरक्षण मद में आवंटित बजट का लगभग 90 प्रतिशत भाग विभिन्न पम्प कैनाल एवं ट्यूबवेल इत्यादि का विद्युत व्यय तथा नाबार्ड इत्यादि से लिये गये कर्ज के ब्याज चुकाने में खर्च हो जाता है। जिससे कि नहरों ड्रेनों एवं पक्के कार्य इत्यादि के अनुरक्षण हेतु अत्यन्त अल्प मात्रा में बजट उपलब्ध हो पाता है। अतः बजट की उपलब्धता बढ़ाया जाए। सिंचाई विभाग में सहायक अभियन्ताओं एवं अवर अभियन्ताआंें की अत्यधिक कमी है तथा उनके पदस्थापना में भी अत्यधिक असमानता है, जिसके कारण सिंचाई विभाग के कार्यो पर अत्यन्त प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। अतः मांग की गयी कि प्रत्येक वर्श सहायक अभियन्ताओं एवं अवर अभियन्ताओं की भर्ती सुनिश्चित करते हुए रिक्त पदों को भरा जाय। विभिन्न स्तरों से अत्यधिक मात्रा में फर्जी शिकायतों के आधार पर जाॅंच की कार्यवाही प्रारम्भ कर दी जा रही है, जिससे कि जहाॅं एक तरफ जाॅंच में राजकीय धन एवं समय का अपव्यय होता है, वहीं अधिकारियों के मनोबल पर भी प्रतिकूूल प्रभाव पड़ता है। सर्वसम्मिति से माॅंग की गयी कि विभागीय अधिकारियों एवं शासन द्वारा जाॅंच की प्रक्रिया के सम्बन्ध में जारी किये गये विभिन्न शासनादेशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाय तथा बिना शपथ पत्र/साक्ष्य के की गयी शिकायत पर जाॅंच प्रारम्भ न की जाय। निर्धारित प्रक्रिया का अनुपालन करने के उपरान्त ही जाॅंच एवं निलम्बन आदि की कार्यवाही की जाय। खण्ड़ों के कार्य क्षेत्र में अत्यधिक असमान्ता के कारण एक ओर कुछ खण्ड़ों में अत्यल्प कार्यभार होता है वहीं कुछ खण्ड़ों में कार्यभार आवश्यकता से अधिक होता है, जिससे कि कार्यो के दक्षतापूर्वक सम्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। मांग की गयी कि राइट साइजिंग आॅफ डिवीजन हेतु प्रस्ताव शासन को प्रेषित किया जाय। सदस्यों द्वारा माॅंग की गयी कि शासन स्तर पर यू0पी0इं0ए0 की कार्यकारिणी से कम से कम तीन माह में एक बार बैठक कर विभाग की समस्याओं से अवगत होतेे हुए निराकरण करने का प्रयास किया जाय। सदस्यों द्वारा इस बात पर विस्तृत चर्चा की गई कि अभियन्ता अधिकारियों के वित्तीय अधिकार वर्श 1995 के बाद से पुर्ननिर्धारित नही किये गये है। प्राइज इन्डेक्स में लगभग पाॅंच से सात गुना वृद्धि हो जाने के कारण कार्यो की लागत में अत्यधिक वृद्धि हो गयी है, जिसके कारण छोटे-छोटे कार्यो को कराने हेतु भी उच्च स्तर पर निर्णय लेने की बाध्यता हो गयी है, जिसके कारण कार्य सम्पादन में अनावश्यक विलम्ब हो रहे है। सर्व सम्मति से मांग की गयी कि वित्तीय अधिकारों के पुर्ननिर्धारण अविलम्ब कराया जाय। सिंचाई विभाग के कार्यो में उच्च गुणवत्ता लाने के लिए एवं विभाग की कैपिसिटी बिल्डिग के लिए डिजाइन आर्गनाइजेशन एवं प्रषिक्षण संस्थान को रिंअर्गनाईज करते हुए इनको अत्यधिक प्रभावी एवं क्रियाषील किया जाय। साथ ही सिंचाई अनुसंधान संस्थान की स्थापना भी की जाय। कार्यो के दरों के निर्धारण हेतु सी.पी.डब्ल्यू.डी. की तरह दरों के स्केलेटन का चयन का मानकी करण करते हुए पुर्ननिर्धारण किया जाय एवं विभिन्न निविदा प्रपत्रों आदि को भी मानकी करण किया जाय। सभी तकनीकी अधिकारों एवं विषिश्टियों का पुर्ननिर्धारण किया जाय। परियोजनाओं हेतु भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही एन.एच.ए.आई एवं आवास विकास इत्यादि विभागों में प्रचलित प्रकिया के अनुसार करने के अधिकार दिये जाय, जिससे कि परियोजनाओं के क्रियान्वयन में अत्यधिक विलम्ब न हो।