पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के लिए मायावती ने भाजपा-कांग्रेस को कोसा
लखनऊ: पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि के लिए कांग्रेस और भाजपा की सरकारों को बराबर जिम्मेदार ठहराते हुए बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने मंगलवार को सरकार से पेट्रोल और डीजल को दोबारा सरकारी नियंत्रण में लाने की मांग की। मायावती ने संवाददाताओं से कहा कि देश में डीजल और पेट्रोल की आसमान छूती कीमतों से जनता में त्राहि त्राहि मची हुई है और इसके विरोध में कल 'भारत बंद' के दौरान विरोध प्रदर्शन भी किया गया है।
उन्होंने कहा, 'देश में ऐसी विषम स्थिति पैदा करने के लिये मुख्य तौर पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों की सरकारें बराबर की जिम्मेदार और कसूरवार हैं।' बसपा प्रमुख ने कहा कि वर्तमान में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र की राजग सरकार ने 2014 में सत्ता में आने के छह महीने के भीतर ही पेट्रोल की तरह डीजल को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिया था। भाजपा ने अपने इस घोर गरीब, मजदूर और किसान विरोधी फैसले को एक बड़े आर्थिक सुधार के रूप में देश और दुनिया के समक्ष पेश किया था।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने संप्रग 2 के शासनकाल में काफी कुछ इसी तरह का रवैया अपनाया था और जून 2010 में पेट्रोल को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिया था। मायावती ने कहा कि भाजपा सरकार अपना अड़ियल गरीब विरोधी रवैया त्यागे और भीषण महंगाई के कारण देश के मौजूदा हालात को देखते हुए पेट्रोल और डीजल को दोबारा सरकारी नियंत्रण में लाए या फिर इनकी कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिये कुछ सख्त नीतियां बनाकर तेल कंपनियों की वर्तमान मनमानी को रोके।
मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए बसपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा की वर्तमान सरकार ने न केवल कांग्रेस की गलत आर्थिक नीतियों को आगे बढ़ाया बल्कि नोटबंदी के आर्थिक आपातकाल और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) आदि को काफी अपरिपक्व तरीके से देश पर थोप कर देशवासियों का जीवन नरक बनाने का काम किया।
उन्होंने कहा कि इस तरह से भाजपा की केंद्र सरकार भी उसी गलत आर्थिक नीति को अपना रही है जिसके लिये कांग्रेस पार्टी की सरकार अलोकप्रिय हुई थी और जिसकी सजा के तौर पर 2014 में उसे जनता ने सत्ता से बाहर कर दिया था।