एडीयूएफ के सांसद व सपा के पूर्व विधायक का ज़मीन ख़रीद प्रकरण के सच से पर्दा उठना ज़रूरी

तौसीफ कुरैशी

लखनऊ/देवबन्द।करोड़ों के लेन-देन को लेकर दो सियासतदाओं के बीच छिड़ी जंग में सच ओर झूट के बीच झूलते देवबन्दवासी व देवबन्दी हल्के में क्योंकि इस प्रकरण में दारूल उलूम सर्वोच्च कमेटी शूरा के सदस्य नाम शामिल है जिससे दारूल उलूम की साख भी दाँव पर है। सच और झूट के पीछे एक ही सच नज़र आ रहा है कि यह हवाला के ज़रिए करोड़ों में लेन-देन हुआ है जिसे दोनों छुपाने का काम कर रहे है सरकार को चाहिए कि वह इसकी गहराई से जाँच कराए कि यहाँ हवाला से अभी भी लेन-देन हो रहा है या नही रही बात सच ओर झूट की तो इन दोनों का नार्को टेस्ट भी होना चाहिए।अब तक सच सामने नही आ रहा है तरह-तरह की चर्चाएँ व्याप्त है लेकिन दोनों ही पार्टी सच बताने को तैयार नही है बहुत लोगों से चर्चा की जो इन दोनों के क़रीबियों में समझे जाते है पर निकल कर कुछ नही आ रहा

आसाम एडीयूएफ के चीफ़ व अजमल कंपनी के डायरेक्टर एवं आसाम की डूबरी लोकसभा सीट से सांसद व दारूल उलूम मजलिस सूरा के सदस्य मौलाना बदरूद्दीन अजमल ने देवबन्द के पूर्व विधायक एवं सपा के वरिष्ठ नेता माविया अली के विरूद्ध पहले दिल्ली के थाना क्षेत्र में एक मामला दर्ज कराया और अब फिर धमकी देने की एक शिकायत लखनऊ में की गई उसकी जाँच चल रही है कि क्या पूर्व विधायक माविया अली ने कोई धमकी दी है ख़ैर अब बात करते है एडीयूएफ के अध्यक्ष एवं सांसद बदरूद्दीन अजमल की पहली शिकायत की जिसमें उन्होंने देवबन्द के पूर्व विधायक माविया अली पर रंगदारी माँगने का आरोप लगाया था ओर माविया अली उस आरोप के तहत गिरफ़्तार भी कर लिए गए थे भरोसेवंद सूत्रों के अनुसार जब पुलिस ने माविया अली को कोर्ट में पेश किया तो अदालत की विद्वान न्यायधीश महोदया ने पुलिस से आरोप के अनुसार सबूत माँगे जिसे दिल्ली की पुलिस व मौलाना बदरूद्दीन अजमल देने में नाकाम रहे जिसके बाद न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा था कि ऐसे ही किसी पर रंगदारी का आरोप लगा दोगे ऐसा नही है तो उसपर न्यायालय की विद्वान न्यायधीश महोदया ने रंगदारी के आरोपी माविया अली को सेम डे ज़मानत दे दी लेकिन उनके जमानतियों का रजिष्टेशन न होने की वजह से वह सेम डे नही छूट पाए थे अगले दिन ईद की छुट्टी होने की वजह से वह रजिष्टेशन न होने के कारण व तीसरे दिन रिहा हो गए थे अब सवाल उठता है कि जब सांसद बदरूद्दीन अजमल से माविया अली ने रंगदारी माँगी तो कोर्ट में सबूत क्यों नही पेश कर पाए और अगर उनके पास सबूत नही थे तो यह सब क्यों किया गया इसके बाद जब दिल्ली में आप फ़ेल हो गए तो अब यूपी पुलिस को शिकायत पत्र देकर दुबारा क्या गेम खेला जा रहा है अब यह तो जाँच के उपरांत ही ज्ञात होगा कि शिकायत सही है या दिल्ली की तरह इसमें भी कुछ दम नही है

ऐसा लगता है कि बार-बार शिकायत कर मामले को उलझाए रखना मक़सद है ताकि इस मामले में कोई सच्चाई तक न जा सकें ऐसा नही है एक तरफ़ से सच्चाई को छिपाया जा रहा है दोनों ही तरफ़ से सच्चाई पर पर्दा डालने की भरपूर्व कोशिश हो रही है हाँ सांसद बदरूद्दीन अजमल की तरफ़ से यह कहा जा सकता है कि वह पुलिस की मदद लेने के नाम पर इस मामले को बार-बार ताज़ा करने की कोशिश हो रही है परन्तु सच्चाई वह भी पुलिस को व आम लोगों को बताने से क़तरा रहे है ऐसा क्या है इस मामले में कि दोनों ही फ़रीग सच नही बता रहे है अगर दोनों ही फरीगों को सच नही बताना है तो बार-बार पुलिस में शिकायत कर यह क्या साबित करना चाहते है।मैंने दोनों ही फरीकों से बात करने की व सच्चाई जानने की भरपूर्व कोशिश की परन्तु कोई सच नही निकल कर आया

सांसद बदरूद्दीन अजमल को कई बार फ़ोन पर सम्पर्क करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने फ़ोन नही उठाया वही देवबन्द के पूर्व विधायक माविया अली से बात की गई तो उनका कहना है कि सांसद बदरूद्दीन अजमल से मेरा कोई जाति झगड़ा नही है उनसे मैंने ज़मीन ख़रीदी थी जिसका मैं 90% पैसा अदा कर चुका हूँ लेकिन वह उनके बताए स्थान दिए गए पैसो को लेने के बाद भी अब मुकर रहे है बस यह मामला है मैं कह रहा हूँ कि मेरा पैसा चला गया जिसका मेरे पास सबूत है ओर वह कह रहे है कि पैसा नही मिला तो इस मामले में हवाला से लेन देन की बू आ रही है इस हालत में सरकार को चाहिए कि इस हाईप्रोफ़ाइल लेन देने की सीबीआई जाँच कराई जानी चाहिए ताकि यह सिद्ध हो सके कि किसने पैसा कहाँ दिया और कहाँ लिया।अब कैसे यह मामला निपटे मुस्कुराइए क्योंकि आप देवबन्द में है की बैठकों में चर्चा का विषय बन रहा है हर तरफ़ यही चर्चा है कि दोनों लोगों के बीच विवाद का हल कैसे हो।

हमारे भरोसे के सूत्रों के अनुसार यह मामला न रंगदारी का है और न किसी ओर धमकी का असल मामला है सांसद बदरूद्दीन अजमल व पूर्व विधायक माविया अली के बीच एक डील हुई ज़मीन को लेकर जिसमें सब कुछ तय हो गया था की ज़मीन के बदले ज़मीन ली ओर दी जाएगी या मोटी रक़म जो करोड़ों में आँकी जा रही है जिसे हवाला के ज़रिए आदान प्रदान होना तय हुआ था इसी बीच जब यह मामला अंतिम पड़ाव पर पहुँच गया वही से किसी तीसरी आँख ने इस पूरी डील को ख़त्म करने की रूपरेखा तैयार की जिसकी भूमिका ऐसी लग रही है कि लाला की दुकान में साँप घुस गया उधर से जाट आ रहे थे जाट ने लाला से मालूम किया कि लाला क्या बात है लाला ने जाट से कहा कि मकाँ-मकाँ चौधरी साहब दुकान में साँप घुस गया चौधरी साहब उस साँप को मारने के लिए दुकान के अंदर गया तो लाला ने अपनी दुकान का सटर नीचे गिरा दिया जाट ओर साँप दोनों दुकान में बंद हो गए चौधरी ने लाला से कहा कि लाला यह क्या किया तो लाला ने जवाब दिया कि मकाँ-मकाँ चौधरी साहब मेरे लिए तो दोनों साँप ही है जो भी मर जाए या दोनों मर जार जाए मेरा ही फ़ायदा है।जिसके बाद यह मामला बिगड़ता चला गया और इनके बीच तू-तू-मैं-मैं होने लगी तब जाकर यह बात आई कि जब आप अपनी बात से हठ रहे हो तो मुझे आप एक करोड़ रू दोगे जिसे सांसद बदरूद्दीन अजमल रंगदारी का नाम दे रहे है वैसे यह बिज़नेस का उसूल है सौदा होने के बाद जब भी दोनों पक्षों में से कोई पीछे हठता है तो उस पर जुर्माना किया जाता है अब उसको आप कुछ भी नाम दे दो।हम इस नतीजे पर पहुँचे है कि दोनों सियासत के रहनुमाई करने वाले है अच्छा है कि मिल बैठकर ही इसे सुलझा ले बेकार एक दूसरे में कीड़े निकाल रहे है कोई लाभ नही होगा। जैसे जमीअत उलमा ए हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष हज़रत मौलाना सैयद अरशद मदनी पर भी सांसद बदरूद्दीन अजमल ने एक सौ एक करोड़ का मानहानि का दावा किया था लेकिन बाद में वापस ही लेना पड़ा था इसका भी वही हाल होगा सूत न कपास जुलाहे से लठम लठा ऐसा नही होना चाहिए।