नई दिल्ली: केरल में आई विनाशकारी बाढ़ के बाद महामारी का खतरा पैदा हो गया है. बाढ़ से प्रभावित जिलों में लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी फैल रही है. इसे स्थानीय भाषा में 'रैट फीवर' कहा जाता है. 1 अगस्त से अब तक 'रैट फीवर' की वजह से 12 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं,बाढ़ के बाद अलग-अलग बीमारियों की वजह से अब तक 54 लोगों की जान चली गई है. राज्य सरकार ने भी लोगों से अतिरिक्त सावधानी बरतने के लिए अलर्ट जारी किया है.

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस बुखार के रोगियों की संख्या में बढोत्तरी हो रही है. अधिकारियों ने बताया कि लगभग 350 से अधिक लोगों में रैट फीवर की शिकायत मिली है, जिनका इलाज प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में किया जा रहा है. पिछले पांच दिनो में इनमें से 150 मामले सकारात्मक पाए गए हैं. रैट फीवर के अधिकतर मामले कोझीकोड़ और मलप्पुरम जिलों से आये हैं.

स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने कहा कि राज्य सरकार सभी आवश्यक और ऐहतियाती कदम उठा रही है और बाढ़ के पानी के संपर्क में आने वाले लोगों से अपील की है कि वह अतिरिक्त निगरानी रखें. शैलजा का कहना है कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि स्वास्थ्य विभाग ने सभी जरूरी कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा, 'प्रत्येक अस्पताल में सभी जरूरी दवाओं का भंडार है.' मंत्री ने बाढ़ प्रभावित इलाके के लोगों को सावधानी बरतने की सलाह भी दी है. कोझिकोड से सबसे ज्यादा मामले सामने आने के बाद कोझिकोड चिकित्सा कॉलेज अस्पताल में एक विशेष अलग वार्ड खोला गया है. केरल स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, राज्य के करीब 20 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं और इसलिए सभी की देखभाल की जानी चाहिए. केरल में बाढ़ से लगभग 20 हजार करोड़ की क्षति हुई है.

लेप्टोस्पायरोसिस ( Leptospirosis Diseases) एक जीवाणु रोग है, जो मनुष्यों और जानवरों को प्रभावित करता है. यह लेप्टोस्पिरा जीनस के बैक्टीरिया के कारण होता है. यह संक्रमित जानवरों के मूत्र के जरिये फैलता है, जो पानी या मिट्टी में रहते हुए कई सप्ताह से लेकर महीनों तक जीवित रह सकते हैं.