नई दिल्ली: कांग्रेस ने अपने शासनकाल के दौरान हुए 29 हजार करोड़ के कोयला घोटाले की जांच तय समय में कराने की मांग की है. कांग्रेस ने इस घोटाले में सरकार पर जांच आगे नहीं बढ़ने देने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने इसकी समयबद्ध जांच सुनिश्चित करने के लिए एसआईटी का गठन किया जाने की भी मांग की है. पार्टी ने यह भी दावा किया कि सरकार ने इस मामले की जांच कर रहे राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) को गत चार वर्षों के दौरान जरूरी कागजात हासिल करने में मदद नहीं की क्योंकि इस मामले में उसके एक ‘पंसदीदा उद्योगपति’ की कंपनी भी शामिल हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अक्तूबर, 2014 में डीआरआई ने बताया था कि उसने कोयले के आयात में घोटाले की जांच शुरू की है. 31 मार्च, 2016 को डीआरआई ने कहा कि इस मामले में 40 कंपनियों के खिलाफ जांच चल रही है और यह 29 हजार करोड़ रुपये का घोटाला है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘सितंबर, 2017 में दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर मांग की गई है कि इस मामले की जांच सही नहीं हो रही है और ऐसे में इसकी जांच उच्च न्यायालय की निगरानी में एसआईटी द्वारा होनी चाहिए.’’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘इस मामले से जुड़ी एक कंपनी ने सिंगापुर की एक अदालत में जाकर कहा कि भारतीय स्टेट बैंक की सिंगपुर शाखा से कागजात डीआरआई को देने पर रोक लगाई जाए, हालांकि हाल ही में कंपनी को इस मामले में हार का सामना करना पड़ा था. अब इस कंपनी ने मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘चार वर्षों के दौरान हमारे प्रधानमंत्री ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री से चार बार मुलाकात की, लेकिन कागजात डीआरआई को उपलब्ध कराने के संदर्भ में कोई बातचीत नहीं की.’’ रमेश ने आरोप लगाया कि जांच को जानबूझकर आगे नहीं बढ़ने दिया गया क्योंकि इस मामले में सरकार के एक ‘पसंदीदा उद्योगपति’ की कंपनी के खिलाफ भी जांच चल रही है. कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘हमारी मांग है कि इस मामले की निष्पक्ष, वस्तुनिष्ठ और समयबद्ध जांच के लिए एसआईटी का गठन होना चाहिए.’’ उन्होंने यह भी कहा कि इस पूरे मामले में प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को जवाब देना चाहिए.