लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर पहुंच चुका है और सरकार चुपचाप बैठी हुई है। आधार कार्डों में फर्जीवाड़ा कर हुए अनाज घोटाले मंे 108 राशन डीलर समेत 202 पर केस दर्ज कर सरकार ने प्रदेश की जनता की आंखों में धूल झोंकने का काम किया है।

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता ओंकारनाथ सिंह ने कहा कि इस घोटाले में कोटेदार और कम्प्यूटर आपरेटर को ही दोषी पाया है और उनके विरूद्ध ही एफआईआर कई जिलों में लिखी गयी है। जिले के वरिष्ठ अधिकारी क्या कर रहे थे जब इतना बड़ा घोटाला उनकी आंख के नीचे हो रहा था। जिम्मेदारी उनके ऊपर भी निर्धारित होनी चाहिए कि उनके नियंत्रण में इतना फर्जीवाड़ा कैसे हो गया। इससे एक बात और भी स्पष्ट होती है कि आधार कार्ड जिस महत्ता के साथ जनता को दिया गया था उसमें भी फर्जीवाड़ा हो सकता है अर्थात सरकार ने करोड़ों रूपये जनता का बर्बाद किया है। अगर इसको अधिकारी कायदे से जांच करते तो निश्चित रूप से आधार पर कोई फर्जीवाड़ा नहीं होता।

यह अनाज गरीब जनता के लिए दिया गया था जिसको कोटेदार और अधिकारी मिलकर हड़प कर गये। प्रदेश सरकार जहां गरीबों के कल्याण के लिए जोर-शोर से कल्याणकारी योजनाओं के बनाने और उनके हितों के लिए कटिबद्धता का प्रचार-प्रसार करने में कोई कसर नहीं छोड़ती वहीं प्रदेश के अधिकारी सुनियोजित ढंग से उन्हीं गरीबों के अनाज में घोटाला करने से नहीं चूक रहे हैं और सरकार आंख मूंदे बैठी हुई है। क्योंकि यदि यह घोटाला किसी एक जनपद मंे होती तो कोटेदार और कम्प्यूटर आपरेटर की गलती मानी जाती किन्तु कई जनपदों में यह घोटाला उजागर हुआ है ऐसे में इस घोटाले का सम्बन्ध मात्र कोटेदार या कम्प्यूटर आपरेटर का नहीं बल्कि निश्चित तौर पर इसमें बड़ें अधिकारियों के भी संलिप्त होने की पूर्ण संभावना है।

कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि सरकार कोटेदार के साथ-साथ इस घोटाले के अहम जिम्मेदार जिला पूर्ति अधिकारी सहित वरिष्ठ अधिकारियों के विरूद्ध भी सख्त कार्यवाही एवं इसकी न्यायिक जांच वर्तमान न्यायाधीश से करायी जानी चाहिए।