लखनऊ: “दो अप्रैल के भारत बंद के दौरान गिरफ्तार लोगों को रिहा करो तथा उन पर लगे मुकदमे वापस लो”- यह बात आज एस.आर दारापुरी पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एवं संयोजक जन मंच ने प्रेस को जारी ब्यान में कही है. उन्होंने कहा कि पिछले भारत बंद के दौरान पुलिस की गोली से 12 दलितों की जान गयी थी, हजारों दलितों के विरुद्ध केस दर्ज किये गये थे तथा सैंकड़ों दलित गिरफ्तार किये गये थे जिनमें से अभी भी काफी लोग जेल में हैं. उत्तर प्रदेश में दो दलित लड़के मेरठ तथा मुज़फ्फा नगर में शहीद हुए थे. इतना ही नहीं पिछले साल 5 मई को सहारनपुर के शब्बीरपुर गाँव में 50 दलितोंके घर जलाये गये थे तथा भीम आर्मी के संस्थापक चन्द्रशेखर तथा शब्बीरपुर के दो दलित अभी भी रासुका में निरुद्ध हैं. उन्होंने जेल में निरुद्ध दलितों को छोड़ने , उनके ऊपर लगाये गये फर्जी मुक़दमे वापस लेने तथा चन्द्रशेखर एवं शब्बीरपुर के दलितों पर लगे रासुका को समाप्त करने की मांग उठाई. इसके साथ ही बंद के दौरान माँरे गये लड़कों के परिवार को 20-20 लाख का मुआवज़ा दिया जाये.

उन्होंने आगे कहा कि आज भारत बंद को विफल बनाने के लिए भाजपा तथा उसके कुछ दलाल दलित संगठनों ने बंद के रद्द हो जाने का जिस तरह से दुष्प्रचार किया वह निंदनीय है तथा दलित हितों के लिए घातक है. आज पुलिस की सहायता से आंबेडकर महासभा का गेट बंद करके भारत बंद में शामिल होने के लिए एकत्र प्रदर्शनकार्यों के प्रवेश को रोका गया वह महासभा के पूर्व अध्यक्ष लालजी प्रसाद निर्मल की दलित समाज तथा बाबासाहेब की विचारधारा के साथ गद्दारी का प्रतीक है. इसके लिए दलित समाज उसे कभी माफ़ नहीं करेगा.

भारत बंद के दौरान हजरतगंज चौराहा स्थित आंबेडकर प्रतिमा पर जनसभा को संबोधित करते हुए हरीश चन्द्र, पूर्व सचिव भारत सरकार ने कहा कि आज देश में मोदी सरकार के संरक्षण में दलितों तथा मुसलमानों की गौहत्या, गोमांस तथा पशु तस्करी के नाम पर जिस तरह माब लिंचिंग हो रही है वह देश में कानून के राज की जगह जंगल राज का प्रतीक है. एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष की प्रथम छिमाही में भाजपा शासित राज्यों में अब तक दलित वर्ग के 67 तथा मुस्लिम वर्ग के 22 लोगों की माब लिंचिंग हो चुकी है जिसमें उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 18 हत्याएं हुयी हैं तथा गुजरात दूसरे नंबर पर है.

हरीश चन्द्र जी ने आगे किसानों की समस्या पर बोलते हुए कहा कि विगत 4 वर्षों में सरकारी ऋण से ग्रस्त किसानों की आत्महत्या में छुट्टा पशुयों सांड तथा गाय आदि द्वारा किसानों की फसल बर्बादी उनकी आत्महत्या में आग में घी का काम कर रही है. किसान रात दिन हाड़तोड़ मेहनत के बाद फसल रक्षा के लिए रात भी उनकी रखवाली में गुजर जाती है पर फिर भी फसल नहीं बच पाती. दूसरी तरफ गोरक्ष्कों के आतंक के कारण खेती के लिए अनुपयोगी बछड़े एवं दूध न देने वाली गाय-भैंस की बिक्री न होने से कृषि एवं पशु पालन लाभप्रद नहीं रह गया है जिससे किसानों की अत्म्हात्ययों में वृद्धि हो रही है.