देश को बांटने की कोशिश कर रही है मोदी सरकार, देश में शुरू हो जाएगा सिविल वॉर: ममता
कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) मुद्दे पर केंद्र सरकार के रुख की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के परिवार का नाम भी नागरिकता लिस्ट में शामिल नहीं है. ऐसे बहुत से भारतीय हैं जिनका नाम नागरिकता रजिस्टर में नहीं है.
दिल्ली स्थित कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में ममता बनर्जी ने कहा कि बंगाली ही नहीं अल्पसंख्यकों, हिंदुओं और बिहारियों को भी एनआरसी से बाहर रखा गया है. 40 लाख से ज्यादा लोगो जिन्होंने कल सत्ताधारी पार्टी के लिए वोट किया था आज उन्हें अपने ही देश में रिफ्यूजी बना दिया गया है. ममता ने कहा, 'वे लोग देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं. यह जारी रहा तो देश में खून की नदियां बहेंगी, देश में सिविल वॉर शुरू हो जाएगा.'
सीएम ममता ने कहा, ''भारत हमारी मातृभूमि है. हम इससे प्यार करते हैं. हर व्यक्ति भारत के किसी भी राज्य में रह सकता है. लेकिन बीते हुए दिनों से खतरा पनप रहा है. हम इसे होने नहीं देंगे. हम वहां हैं.''
ममता ने यह भी कहा कि किसी भी अच्छी वजह के लिए लड़ना गलत है तो हम ये गलती करेंगे. उन्होंने नाम न लेते हुए कहा कि सिर्फ एक ही पार्टी के सदस्यों का अधिकार है कि वे देश से प्यार करें.
ममता ने मीडिया की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि मीडिया को दबाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जो कुछ झारखंड में हुआ वह हम पूरे देश में नहीं होने देंगे. न्यायपालिका पर भी दबाव है. जहां कहीं भी मैं जा रही हैं उनकी यात्रा रद्द करा दी जा रही है.
ममता ने कहा कि नेहरू-लियाकत पैक्ट, इंदिरा पैक्ट के मुताबिक वे भारतीय नागरिक हैं. बिहार, तमिलनाडु और राजस्थान के कई लोगों के नाम वहां नहीं हैं. उन्होंने कहा कि अगर बंगाली कहें कि वे बंगाल में नहीं रह सकते, अगर दक्षिण भारतीय कहें कि वे उत्तर भारतीयों को नहीं रहने दे सकते इस देश के हालात कैसे होंगे? अगर हम साथ रह रहे हैं तो यह देश हमारे लिए परिवार की तरह है.
गौरतलब है कि असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का दूसरा और आखिरी ड्राफ्ट जारी हो चुका है. इसमें 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.90 करोड़ आवेदक वैध पाए गए हैं. 40 लाख आवेदकों का नाम ड्राफ्ट से गायब है. बता दें कि असम में एनआरसी का पहला ड्राफ्ट पिछले साल दिसंबर के आखिर में जारी हुआ था. पहले ड्राफ्ट में 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे.