लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में उतरने से पहले ही समाजवादी पार्टी ने ईवीएम की बजाय बैलेट पेपर से चुनाव कराये जाने का पुराना घिसा-पिटा राग छेड़कर अपनी हार स्वीकार कर ली है। समाजवादी पार्टी को ये अंदाजा लग गया है कि उप्र से उसका पूरी तरह सफाया हो चुका है और आने वाले दिनों में भी उसके लिए कोई उम्मीद नहीं बची है। रही सही कसर पार्टी और परिवार में चल रही कलह ने पूरी कर दी है जिसका नजारा तब देखने को मिला जब समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक का खुद परिवार और पार्टी के तमाम नेताओं ने बहिष्कार कर दिया। इसीलिए हताश और निराश समाजवादी पार्टी न सिर्फ किसी भी तरह के गठबंधन के लिए मजबूर दिख रही है बल्कि अभी से चुनावी हार का ठीकरा ईवीएम मशीन पर फोड़ने की तैयारी में भी जुट गयी है।

शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि पिछले दिनों ईवीएम मशीन को लेकर हारे हुए दलों की तरफ से उठाये गये बेबुनियाद सवालों का जबाव देने के लिए जब चुनाव आयोग ने ईवीएम मशीनें रखकर उसे हैक करने की चुनौती दी तब कोई भी दल ये चुनौती स्वीकार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। ईवीएम मशीने रखी रहीं और ईवीएम पर सवाल उठाने वाले दल एक भी आरोप साबित नहीं कर पाये। ईवीएम हैक होने का दावा करने वाले सियासी दल चुनाव आयोग के बुलाने के बावजूद ईवीएम के पास तक नहीं फटके। ऐसे में एक बार फिर ईवीएम पर राग अलाप कर समाजवादी पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव में होने जा रही अपनी बड़ी हार का बहाना तलाश लिया है।

प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि चुनाव आयोग एक स्वतंत्र और संवैधानिक संस्था है। यह चुनाव आयोग को तय करना है कि लोकसभा के चुनाव बैलेट पेपर पर कराये जायेंगे या फिर ईवीएम मशीन पर। परन्तु ये वही समाजवादी पार्टी है जिसने कर्नाटक और पंजाब चुनाव को लेकर कभी भी ईवीएम मशीन पर सवाल नहीं उठाये। अब 2019 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की लोकप्रियता और मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ की कर्मठता से घबराई समाजवादी पार्टी ने अब ईवीएम मशीन पर चुनाव से पहले ही सवाल उठाकर अपनी हार स्वीकार कर ली है।