नई दिल्ली: मौजूदा मॉनसून सत्र में महिला आरक्षण बिल को भी कानून की शक्ल दिए जाने की मांग जोर पकड़ रही है लेकिन राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने इस बिल का विरोध करके एक नई बहस छेड़ दी है। राजधानी दिल्ली में आयोजित महिला आयोग के एक कार्यक्रम में रेखा शर्मा ने कहा कि महिला आरक्षण बिल से केवल राजनेताओं की बीवियों और बेटियों को फायदा होगा।

मौजूदा मॉनसून सत्र में महिला आरक्षण बिल को भी कानून की शक्ल दिए जाने की मांग जोर पकड़ रही है लेकिन राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने इस बिल का विरोध करके एक नई बहस छेड़ दी है। राजधानी दिल्ली में आयोजित महिला आयोग के एक कार्यक्रम में रेखा शर्मा ने कहा कि महिला आरक्षण बिल से केवल राजनेताओं की बीवियों और बेटियों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि उनके पास आरक्षण तंत्र का आरक्षण है। उन्होंने तर्क किया कि महिलाओं को राजनीति में आने के अपने रास्ते खुद बनाने चाहिए। रेखा शर्मा का यह बयान ऐसे समय आया है जब विपक्षी दलों की तरफ से इसी मॉनसून सत्र में लोकसभा और राज्यों की विधान सभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण लागू करने मांग चल रही है। “भारत में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी और प्रतिनिधित्व” विषय पर आयोजित चर्चा में रेखा शर्मा ने कहा, ”अगर आप मुझसे पूछते हैं तो वास्तव में मेरे पास आरक्षण को लेकर आरक्षण है। आरक्षण की मदद से मेरे और आपको जैसे लोगों के लिए राजनीति में प्रवेश करना मुश्किल होगा। हमें अपना रास्ता खुद बनाना होगा। यह केवल कुछ नेताओं की बेटियों और बीवियों की मदद करेगा।”

शर्मा ने भारत की लगभग आधी आबादी यानी 50 फीसदी महिलाओं को सशक्त करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ”अगर 50 फीसदी आबादी को राजनीतिक तौर पर सशक्त नहीं किया जाता है तो हम कैसे आगे बढ़ सकते हैं? यह कैसे भी संभव नहीं है। यह तो महिलाओं का अधिकार है कि वे चुनें और चुनी जाएं।” महिला पैनल प्रमुख ने कहा कि ”महिलाएं अभी भी अपने मताधिकार का प्रयोग करने से पहले अपने पति से चर्चा करती है।” शर्मा ने कहा कि आमतौर पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को लेकर महिलाएं अनजान होती हैं।

शर्मा के मुताबिक कई महिलाओं को पंचायत स्तर पर चुना गया है लेकिन उनके पास उनके द्वारा किए गए कार्यों का कोई सबूत नहीं है, उन्हें नहीं पता होता है कि सरकार ने पंचायत तो कितना पैसा दिया और कहां खर्च करना होता है। महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि कई मामलों में महिलाओं के पति, भाई और पिता दस्तावेजों पर मुहर लगाते हैं और उनकी जगह बैठकों में शामिल होते हैं।