नई दिल्ली: राजस्थान के अलवर में हुई रकबर मॉब लिचिंग मामले में सोमवार को पुलिस ने माना कि उनसे लापरवाही हुई है। पुलिस के बाद अब राज्य सरकार ने भी इस बात को स्वीकार कर लिया है कि रकबर की मौत पुलिस कस्टडी में ही हुई और इस मामले की न्यायिक जांच करायी जायेगी। राजस्थान गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने इस बात को स्वीकार करते हुए कहा कि इस घटना में अब तक जितने भी सबूत मिले हैं उनके हिसाब से रकबर की जान पुलिस कस्टडी में ही गई है। उन्होंने कहा कि हमने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को इस मामलें की जांच शुरू करने के लिये लिखा है।

गुलाब चंद ने कहा कि पुलिस ने रकबर को हॉस्पिटल ले जाने में बहुत वक्त जाया कर दिया जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई। जांच के दौरान हमें पता लगा कि पुलिस वालों ने पहले गायों को गौशाला में छोड़ा उसके बाद रकबर को हॉस्पिटल ले गए। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। उन्हें पहले रकबर को अस्पताल ले जाना चाहिए था। आगे की मामले की अभी जांच की जा रही है। गृह मंत्री ने बताया कि हम पीड़ित के परिवार से मिले। इस मामले में जो भी जांच की जा रही है परिवार उस जांच से संतुष्ट है। हमने उनसे कहा कि इस बारे में और भी कुछ बताने के लिए अगर वो हमारे पास आन चाहें तो वो कभी भी आ सकते हैं।

रकबर की रिपोर्ट में सामने आया है कि उसकी मौत सदमे से हुई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार रकबर की मौत उसके शरीर में बार-बार चोट लगने और उससे पहुंचे 'सदमे' की वजह से हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो रकबर की जांघ की हड्डी भी टूटी हुई थी। साथ ही पसलियों पर भी चोट के निशान सामने आए हैं।

पुलिस ने भी सोमवार को इस मामले में अपनी गलती मान ली है। देर शाम राजस्थान के डीजीपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात को स्वीकार किया कि पुलिस सही वक्त पर फैसला नहीं ले पाई कि उसे क्या करना चाहिए। स्पेशल डीजीपी एन आर के रेड्डी ने कहा कि मौका-ए-वारदात को देखने पर पाया गया कि अगर समय पर पुलिस ने रकबर को अस्पताल पहुंचा दिया होता तो उसकी मौत नहीं होती। इस घटना में पुलिस ने तीन लोगों को हिरासत में भी ले लिया है जिनसे पूछताछ की जा रही है।

रकबर की मौत की परिस्थितियों की जांच के लिए बनाए गए चार सदस्यों के पैनल के यह स्वीकार किया है कि इस मामले में पुलिस की की तरफ से भी लापरवाही हुई है। पुलिस पर आरोप है कि उसने भी रकबर के साथ मारपीट की और उसके घायल होने के बाद भी उसे अस्पताल में भर्ती कराने में देरी की गई है। रकबर को अस्पताल में भर्ती कराने से पहले उन्होंने गायों को गऊशाला पहुंचाया। अस्पताल ले जाने की बजाय थाने ले गए। इतना ही नहीं उसे थाने ले जाते वक्त पुलिसवालों ने रास्ते में एक जगह पर चाय भी पी। बताया जा रहा है कि पुलिस ने इस तरह से तीन घंटे गंवा दिए।