वर्धा। महाराष्ट्र के वर्धा में सेना के सबसे बड़े आर्डिनेंस फैक्टरी डिपो में भीषण हादसे में 17 जवानों की दर्दनाक मौत हो गई है। पुलगांव स्थित इस डिपो में हुए हादसे में मरने वालों में 2 अफसर और डीएससी के 15 जवान शामिल हैं। इसके अलावा 19 लोग जख्मी हुए हैं। देर रात गोला बारूद में आग लगने से विस्फोट शुरू हो गया और इसके बाद भयानक आग लग गई। सूत्रों के मुताबिक हादसे के पीछे साजिश से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
यह आयुध डिपो देश का सबसे बड़ा आयुध डिपो है। एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि आग लगने से एक लेफ्टिनेंट कर्नल समेत दो अधिकारियों और रक्षा सुरक्षा कोर (डीएससी) के 15 जवानों की मौत हो गई। इस आग में कम से कम 19 अन्य सुरक्षाकर्मी झुलस गए।
यह आग कई शेडों में फैल गई जहां हथियार, बम और अन्य विस्फोटक सामान रखा होता है। पास के गांवों के निवासियों को वहां से बाहर निकाला गया है और घायल सुरक्षा कर्मियों को बाहर निकालने में मदद के लिए सेना के हेलीकॉप्टर लगाए गए हैं। सैन्य अधिकारी ने आग लगने के कारणों के बारे में बताने से इनकार करते हुए कहा कि एक शेड में लगी मुख्य आग पर काबू पा लिया गया है। स्थिति को स्थिर करने की कोशिश की जा रही है। इस घटना के कारण और कहीं आग लगने या विस्फोट होने की संभावना से अभी इनकार नहीं किया जा सकता।
सेना ने घटना की जांच के आदेश दे दिए है। पुलगांव स्थित केंद्रीय आयुध डिपो भारत का सबसे बड़ा आयुध डिपो है। विभिन्न कारखानों से भंडार पहले यहां आता है और इसके बाद इसे विभिन्न अग्रिम इलाकों में वितरित किया जाता है। पुलगांव नागपुर से 110 किलोमीटर दूर है।
रात 1.30 से 2 बजे के बीच गोला बारुद फटने से ये हादसा हुआ। विस्फोट की तीव्रता इतनी ज्यादा थी कि लोगों के घरों के शीशे तक फूट गए। सूत्रों के मुताबिक हादसे के पीछे साजिश की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
आसपास के इलाके को खाली करा लिया गया है और लोगों को पास के गांवों में शिफ्ट करा दिया गया है। रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर इस वक्त पुणे में हैं वर्धा का दौरा करेंगे। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर दुख जताते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को घटनास्थल पहुंचने को कहा है।
रक्षा विशेषज्ञ प्रफुल्ल बख्शी का कहना है कि गर्मी के मौसम में इस तरह के हादसे की आशंकाए होती हैं। हथियारों को स्टोर रखकर उनका इस्तेमाल करना बडा मुश्किल काम है लेकिन सरकारें इन्हें गंभीरता से नहीं लेतीं। इनकी विध्वंसक कैपेसिटी बहुत ज्यादा होती है। ऐसे हादसों के बाद जिन कदमों की सिफारिश होती है उन्हें तवज्जो नहीं दी जाती है, दबाव डाला जाता है, शॉर्टकट अपनाए जाते हैं।
एक स्थानीय नागरिक र