सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की शांति भूषण की याचिका

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ही मास्टर ऑफ़ रोस्टर है और इसमें कोई विवाद नहीं है. केसों के आवंटन में CJI का मतलब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया है ना कि कॉलेजियम. संविधान CJI के मुद्दे पर मौन है लेकिन परपंरा और बाद के फैसलों में सभी द्वारा माना गया है कि CJI बराबर में सबसे पहले हैं. वरिष्ठतम होने की वजह से उन्हें ये अधिकार है. उन्‍होंने कहा कि हम जवाबदेही के वक्त में रह रहे हैं. तकनीक के वक्त में कोई भी आउटकम आलोचना में बदल सकता है. दुनिया तेजी से बदल रही है लेकिन फंडामैंटल नहीं बदलेंगे. क्या चीफ जस्टिस दूसरे जजों की सलाह से काम करते हैं ?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रशासनिक स्तर समेत न्यायिक सुधार जारी रहने वाली प्रक्रिया है. CJI प्रशासनिक मुखिया हैं. याचिकाकर्ता की ये बात ये स्वीकार करना मुश्किल है कि केसों के आवंटन में CJI का मतलब कॉलेजियम है. चीफ जस्टिस के मास्टर ऑफ रोस्टर के तहत केसों के आवंटन पर सवाल उठाने वाली शांति भूषण की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज किया. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल (AG) से केस में सहयोग मांगा था कि जजों की नियुक्ति का तरह क्या संवेदनशील केसों के आवंटन के मामले में CJI का मतलब कॉलेजियम होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसमें कोई विवाद नहीं कि CJI मास्टर ऑफ रोस्टर हैं.