नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उनकी पत्नी सविता कोविंद के साथ ओडिशा के प्रसिद्ध श्री जगन्नाथ पुरी मंदिर में कथित 'बदसलूकी' का मामला सामने आया है. राष्ट्रपति और उनकी पत्नी करीब तीन महीने पहले यानी 18 मार्च को मंदिर दर्शन के लिए गए थे, लेकिन इस घटना का खुलासा मंदिर प्रशासन की बैठक के मिनट्स सामने आने के बाद हुआ. वहीं पुरी जिला प्रशासन ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है.

रिपोर्ट के अनुसार मंदिर में सेवादारों के एक समूह ने कथित रूप से गर्भगृह के करीब राष्ट्रपति का रास्ता रोक लिया और उनकी पत्नी को धक्का दिया.

रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति भवन ने इस घटना पर आपत्ति जताते हुए 19 मार्च को पुरी के कलेक्टर अरविंद अग्रवाल को सेवादारों के आचरण के खिलाफ नोट भेजा था, जिसके बाद अगले दिन श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) ने एक बैठक की थी.

SJTA की बैठक को लेकर जारी मिनट्स के मुताबिक, राष्ट्रपति और उनकी पत्नी सविता कोविंद ठीक से दर्शन कर सकें, इसलिए सुबह 6.35 बजे से 8.40 बजे तक अन्य श्रद्धालुओं के लिए मंदिर बंद रखा गया था. इस दौरान कुछ सेवादारों और सरकारी अधिकारियों को ही राष्ट्रपति और उनकी पत्नी के साथ मंदिर जाने की अनुमति दी गई थी.

एक स्थानीय अखबार प्रगतिवादी के मुताबिक, जब राष्ट्रपति पुरी जगन्नाथ मंदिर के सबसे निचले हिस्से में रत्न सिंहासन के पास पहुंचे, तो एक सेवादार ने कथित तौर पर उन्हें रास्ता नहीं दिया. वहीं जब राष्ट्रपति और उनकी पत्नी दर्शन कर रहे थे, तो कुछ सेवादारों ने कथित रूप से दोनों को कोहनी मारी.

इस मामले में मंदिर प्रशासन ने तीन सेवादारों को कारण बताओ नोटिस जारी करने का फैसला किया है.

वहीं इस घटना को लेकर टाइम्स ऑफ इंडिया से कांग्रेस नेता सुरेश कुमार ने कहा, 'हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि जिला प्रशासन क्यों ऐसी स्थिति से बचने में असफल रहा. अब तक सिर्फ सामान्य श्रद्दालुओं को सेवादार परेशान करते थे. अब ऐसा लग रहा है कि राष्ट्रपति और उनके परिवार को भी इससे नहीं बख्शा गया.'

उधर SJTA के मुख्य प्रशासक, आईएएस अधिकारी प्रदीप्त कुमार महापात्रा ने स्वीकार किया कि राष्ट्रपति और उनकी पत्नी को मंदिर के अंदर असुविधा हुई, लेकिन उन्होंने आगे टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, 'हमने कुछ दिनों पहले मंदिर प्रबंधन समिति के साथ इस मामले पर चर्चा की थी और फिलहाल इस घटना की जांच की जा रही है.'

राज्यसभा सांसद और बीजेडी प्रवक्ता प्रताप केशरी देब ने बताया कि कलेक्टर ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है. उन्होंने कहा, 'मंदिर प्रशासन भी इस मामले की जांच कर रहा है.' हालांकि कई बार कोशिश करने के बाद भी जिलाधिकारी अग्रवाल से बात नहीं हो सकी. इस घटना के तीन महीने बाद, सुप्रीम कोर्ट ने 8 जून को मंदिर के सेवादारों के गलत आचरण को लेकर बेहद सख्त टिप्पणी की और राज्य सरकार को भक्तों का उत्पीड़न रोकने के लिए उपाय करने का निर्देश दिया.