बैंकों की हालत होगी और भी पतली
नई दिल्ली: आरबीआई ने जोखिम वाले कर्ज (एनपीए) को लेकर गंभीर आशंका जताई है। मौजूदा वित्त वर्ष में इसमें तकरीबन 1 फीसद तक की वृद्धि होने की बात कही गई है। आरबीआई के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की समाप्ति तक बैंकों का कुल एनपीए 12.2 फीसद के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच जाएगा। वित्त वर्ष 2017-18 में यह 11.6 फीसद था। इसका मतलब यह हुआ कि आने वाले समय में बैंकों की वित्तीय स्थिति और खराब होगी। दरअसल, आरबीआई ने फायनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट (एफएसआर) जारी की है, जिसमें एनपीए को लेकर महत्वपूर्ण आकलन किए गए हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों पर एनपीए का दबाव लगातार रहेगा और आने वाले समय में कम होने के बजाय इसमें और वृद्धि होगी। लिहाजा, आने वाले समय में बैंकों की स्थिति और खराब होगी।
आरबीआई की रिपोर्ट में एनपीए बढ़ने के कई कारण गिनाए गए हैं। इसमें मौजूदा आर्थिक संकेतकों के आधार पर बैंकों के एनपीए के बढ़ने का आकलन किया गया है। आरबीआई ने प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) के दायरे में आए बैंकों पर भी टिप्पणी की है। रिपोर्ट में पीसीए के दायरे में आए सार्वजनिक क्षेत्र के 11 बैंकों की स्थिति और बिगड़ने की बात कही गई है। इन बैंकों का एनपीए मार्च 2018 के 21 फीसद से बढ़कर मौजूदा वित्त वर्ष के अंत तक 22.3 प्रतिशत हो सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि पहले से ही संकट से जूझ रहे बैंकों के एनपीए में तकरीबन डेढ़ फीसद की बढ़ोत्तरी होगी।
बता दें कि आरबीआई इन बैंकों को पहले ही अपना अकाउंट बुक दुरुस्त करने की चेतावनी दे चुका है, लेकिन एफएसआर में पीसीए के दायरे में आए बैंकों की हालत और बिगड़ने की आशंका जताई गई है। इन बैंकों की मौजूदा स्थिति को देखते हुए आने वाले समय में पूंजी संकट बढ़ने की भी आशंका है। ज्यादा एनपीए के चलते आईडीबीआई बैंक, यूको बैंक, सैंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, देना बैंक, आरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, कार्पोरेशन बैंक और इलाहाबाद बैंक शामिल हैं। रिजर्व बैंक की इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सभी वाणिज्यक बैंकों के मुनाफे में कमी आई है, आंशिक तौर पर इससे बढ़े प्रावधान का पता चलता है। हालांकि , इसमें कहा गया है कि 2017- 18 में जमा वृद्धि धीमी रहने के बावजूद लोन देने में तेजी आई है।