लखनऊ : हाथ से मैला उठाने की प्रथा को समाप्त करने के लिए संकल्पित योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इस कुप्रथा को छोड़ने वाले परिवार से एक व्यक्ति को नौकरी देने की घोषणा की है। केन्द्र व प्रदेश सरकार ने ऐसे परिवार के पुर्नवास की सम्पूर्ण योजना तैयार की है। उक्त बाते भाजपा प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने प्रदेश मुख्यालय पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही।

श्री शुक्ला ने कहा कि केन्द्र सरकार बनने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महात्मा गांधी की प्रेरणा से 02 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरूवात की। मैला ढोने की सदियों पुरानी अमानवीय और अपमानजनक प्रथा को खत्म करना स्वच्छ भारत मिशन का उद्देश्य है। स्वच्छ भारत अभियान को केवल सफाई के मुद्दों से जोड़ने की जगह मानव की गरिमा पर केंद्रित किया गया। आजादी के 7 दशक से ज्यादा बीत जाने के बाद भी ये राष्ट्रीय शर्म का विषय है कि 21 वीं सदी में साफ-सफाई में लगे हजारों परिवार सामाजिक तौर पर अपमानित और अमानवीय जीवन जीने को मजबूर हैं। सामाजिक उत्पीड़न का का दंश झेलने के अलावा मैला ढोने वाले इस पेशे के साथ जुड़ी कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी सामना करते हैं। उसी कड़ी में केन्द्र सरकार का सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय व प्रदेश सरकार सर्वे में चिहिन्त सफाई कर्मियों द्वारा हाथ से मैला उठाने की प्रथा छोड़ने पर उनके परिवार में किसी एक व्यक्ति को नौकरी के साथ-साथ प्रधानमंत्री आवास योजना के अन्र्तगत प्राथमिकता के आधार पर शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में आवास एवं शौचालय और उनके बच्चों के पठन-पाठन में कठनाई आने पर सरकारी सहायता देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने बाल्मीकि समाज के लोगों से आग्रह किया कि उ0प्र0 सरकार के श्रम एवं सेवायोजन कार्यलयों में बाल्मीकि समाज के लोग पंजीकरण अवश्य कराये।

श्री शुक्ला ने बताया कि हाथ से मैला उठाने की कुप्रथा को छोड़ने वालों को सरकार रोजगार से जोड़ने के अतिरिक्त उनके पुर्नवास के लिए केन्द्र सरकर द्वारा प्रति कर्मी 40 हजार रूपये की सहायता एवं स्वरोजगार के लिए बैंकों से ऋण भी उपलब्ध करायेंगे।