केजीएमयू और ट्रॉमा सेंटर में हड़ताल,मरीज़ों का बुरा हाल
लखनऊ: केजीएमयू में कर्मचारियों और जूनियर डॉक्टर्स के बीच विवाद का मामला तूल पकड़ता दिख रहा है. गुरुवार को जूनियर डॉक्टर्स ने प्रशासनिक भवन में काम बंद करवाया, जिसके बाद न्यू ओपीडी बिल्डिंग में भी काम रुक गया है. उधर कर्मचारी भी लामबंद हैं. इस अव्यवस्था से केजीएमयू में मरीज़ बेहाल हैं. स्थिति पर नियंत्रण हासिल करने में केजीएमयू प्रशासन पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है. उधर केजीएमयू के साथ ट्रॉमा सेंटर भी इलाज बंद हो गया है. इस वजह से हजारों मरीज ट्रॉमा सेंटर से बिना इलाज के आसपास के प्राइवेट अस्पतालों की शरण ले रहे हैं.
जानकारी के अनुसार केजीएमयू की ओपीडी में आज 8000 मरीज नहीं देखे गए. वहीं क्विन मैरी अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को लौटना पड़ा है. लारी में भी हृदय रोगियों को इलाज नहीं मिल पा रहा है. सभी जगह पर्चा काउंटर बंद हैं. वहीं गुरुवार को केजीएमयू वीसी ने कर्मचारियों से कोई बात नहीं की, जिसके बाद हड़ताल आगे बढ़ गई है.
उधर ट्रॉमा सेंटर में हड़ताल से हालात बद से बदतर हो गए हैं. पता चला है कि एक 13 महीने की बच्ची इलाज के अभाव में मौत हो गई. बच्ची को लेकर परिजन अयोध्या से लखनऊ पहुंचे थे. प्रदर्शन के कारण इन्हें इलाज नहीं मिल सका. उधर किसी भी बवाल से निपटने के लिए केजीएमयू और ट्रॉमा सेंटर में भारी संख्या में पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स की तैनाती की गई है.
पूरे मामले में केजीएमयू वीसी प्रोफेसर एमएलबी भट्टा का लापरवाह रवैया देखने को मिला है. इलाज के लिए मरीज तड़प रहे हैं. केजीएमयू अैर ट्रॉमा की हालत खराब है, वहीं दूसरी तरफ वीसी साहब एनेस्थीसिया फैकल्टी का इंटरव्यू ले रहे हैं. बड़ा सवाल है कि मरीजों की मौतों का आखिर ज़िम्मेदार कौन है?