नई दिल्ली: दलितों के घर में जाकर भोजन करने के मुद्दे पर बांग्‍लादेश की निर्वासित लेखिका तस्‍लीमा नसरीन ने तीखी टिप्‍पणी की है। उन्‍होंने ट्वीट किया, ‘सच्‍चाई यह है कि अगड़ी जाति के लोगों द्वारा दलितों के घरों में भोजन करना काफी नहीं है। उन्‍हें दलितों से शादी करनी चाहिए और दलितों को पुजारी भी बनाया जाना चाहिए।’ बांग्‍लादेशी लेखिका का ट्वीट सामने आते ही लोगों ने भी अपनी प्रतिक्रियाएं देनी शुरू कर दीं। आरव शर्मा ने लिखा, ‘अरेंज मैरिज में जाति के अलावा और भी कई बातें शामिल होती हैं। यहां तक कि समान जातियों में भी कई तरह की चीजें होती हैं। ये बेहद जटिल हैं।’ रविंद्रन नायर ने ट्वीट किया, ‘सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए दलितों के घर में भोजन किया जा रहा है। अगड़ी जाति के लोग तो यह भी बरदास्‍त नहीं कर सकते कि उनके सामने दलित युवक घोड़ा पर चढ़े। ऐसे में दलितों को पुजारी बनाना या उनके साथ शादी करने के बारे में तो सोचा भी नहीं जा सकता है।’ गुलाब चंद ने लिखा, ‘एक पहले ही महामंडलेश्‍वर बन चुके हैं और 10 दलितों को तिरुपति मंदिर के लिए प्रशिक्षित किया गया है।’ सिमी कौल ने ट्वीट किया, ‘शादी-विवाह पूरी तरह स्‍वतंत्र और निजी पसंद का मामला है। इस तरह की मूर्खतापूर्ण बातें ट्वीट करना बंद कीजिए।’ रुद्र ने लिखा, ‘भारत भर में दलितों को पुजारी के तौर पर नियुक्‍त किया जा रहा है। आधुनिक हिंदू इस बात को समझते हैं कि जाति से उनकी जड़ों को काफी नुकसान हुआ है और इसे दूर करना चाहिए।’

सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में अनुसूचित जाति/जनजाति अत्‍याचार निवारक कानून को लेकर अहम फैसला दिया था। ऐसे मामलों में बिना जांच के गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद अप्रैल में एससी/एसटी समुदाय के लोगों ने देशव्‍यापी विरोध-प्रदर्शन किया था। इस दौरान मध्‍य प्रदेश, राजस्‍थान, बिहार, उत्‍तर प्रदेश जैसे राज्‍यों में हिंसक टकराव भी हुए थे। इसमें कई लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद विभिन्‍न दलों के नेताओं ने दलितों को रिझाना शुरू कर दिया था। इसके तहत दलितों के घरों में जाकर भोजन करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई। इसमें केंद्रीय मंत्रियों से लेकर शीर्ष नेता तक शामिल हैं। इतना ही नहीं, नेताओं के बीच आरोप-प्रत्‍यारोप का दौर भी शुरू हो गया था।