कॉलेजियम नहीं कर सका केएम जोसेफ पर कोई फैसला
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की कोलेजियम ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ को तरक्की देकर सुप्रीम कोर्ट जज बनाने का फैसला फिलहाल टाल दिया है. जस्टिस जोसेफ इस साल जून में साठ साल के हो जाएंगे. वह जुलाई 2014 से उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं.
एक अधिकारी ने बताया कि कॉलेजियम की बैठक में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के पत्रों पर विस्तार से चर्चा हुई. कॉलेजियम प्रस्ताव में कहा गया कि बैठक के एजेंडे में उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ के मामले पर दोबारा विचार करने और निष्पक्ष प्रतिनिधित्व की अवधारणा के मद्देनजर शीर्ष अदालत में तरक्की के लिए कलकत्ता, राजस्थान और आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना हाईकोर्ट के जजों के नामों पर विचार करना शामिल था. इस बारे में फैसला आज (बुधवार को) स्थगित कर दिया गया.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने इस साल दस जनवरी को जस्टिस जोसेफ और वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की शिफारिश की थी. हालांकि सरकार ने इंदु मल्होत्रा के नाम पर तो मंजूरी दे दी, लेकिन जोसेफ के नाम पर फिर से विचार करने को कहा था. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बुधवार को अहम बैठक हुई.
कॉलेजियम की इस बैठक में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस जे. चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकूर और जस्टिस कुरियन जोसेफ इस बैठक में शामिल हुए. जस्टिस चेलामेश्वर बुधवार को कोर्ट नहीं आए थे, लेकिन वह कॉलेजियम की बैठक में शामिल हुए थे. इससे पहले जस्टिस चेलामेश्वर, जस्टिस लोकूर और जस्टिस कुरियन जोसेफ सहित कॉलेजियम के सदस्यों ने जस्टिस जोसेफ के नाम को मंजूरी देने हो रही देरी पर चिंता जताई थी.
वहीं केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत करने के लायक नहीं माना. केंद्र का कहना है कि यह प्रस्ताव शीर्ष अदालत के मानकों के अनुरूप नहीं है. जोसेफ केरल से ही आते हैं और उच्चतर न्यायपालिका में केरल का पर्याप्त प्रतिनिधत्व है.
केंद्र ने उनकी वरिष्ठता पर भी सवाल उठाया था और कहा, 'वह अखिल भारतीय आधार पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संयुक्त वरिष्ठता में 42 वें स्थान पर आते हैं.'
बता दें कि जस्टिस केएम जोसेफ उत्तराखंड हाईकोर्ट की उस बेंच के प्रमुख थे, जिसने 2016 में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले को निरस्त कर दिया था.