लखनऊ: जेनेवा स्थित विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यालय से विश्व में वायु प्रदूषण के वर्त्तमान हालात पर एक व्यापक रिपोर्ट जारी की गयी. इस रिपोर्ट के आधार पर दुनिया के प्रदूषित शहरों का आंकड़ा जारी किया गया है. इस रिपोर्ट में 2010 से 2016 तक तमाम शहरों में उपलब्ध पी एम् 2.5 के आंकड़ों की आधार पर एक विस्तरीत सूची बनायी गयी है, जिस के आधार पर विश्व के प्रदूषित शहरों की क्रमवार सूची तैयार की गयी है.

इस रिपोर्ट के विस्तार से अध्ययन के आधार पर क्लाइमेट एजेंडा की मुख्य अभियानकर्ता एकता शेखर का कहना है : “डब्ल्यू एच ओ की यह ताजा रपट भारत में वायु प्रदूषण का विस्तृत चित्रण करती है. 2010 से लेकर 2016 तक के आंकड़ों के आधार पर बनी इस रपट के मुताबिक़, इलाहाबाद दुनिया का चौथा सबसे प्रदूषित शहर पाया गया है. इस लिस्ट में, शीर्ष 20 शहरों में उत्तर प्रदेश के कूल 15 शहर शामिल हैं. इनमे इलाहाबाद के अलावा कानपुर वाराणसी,लखनऊ, आगरा और फिरोजाबाद क्रमशः (विश्व में) दूसरे, छठे, तेरहवें, पन्द्रहवें और बीसवें नंबर पर है.” उन्होंने आगे कहा कि “ दुनिया भर में होने वाली 70 लाख मौतों में ज्यादातर मौतें भारत के इन चुनिन्दा शहरों में हो रही हैं. ऐसे में, अब यह एक स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति बन चुकी है.” एकता शेखर ने कहा कि लम्बे समय से क्लाइमेट एजेंडा की यह मांग रही है कि देश के अन्दर वायु गुणवत्ता निगरानी तंत्र को पारदर्शी बनाया जाए, और राष्ट्रीय स्तर पर इस तंत्र का विस्तार किया जाए. अगर ऐसा हुआ होता तो ये आंकड़े इससे ज्यादा भयावह मिलते.

सौ प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान व केयर 4 एयर की सचिवालय प्रभारी सानिया अनवर का कहना है : “विश्व के शीर्ष 20 प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के 6 शहरों का शामिल होना क्लाइमेट एजेंडा द्वारा जारी रिपोर्ट एयर किल्स में दिए गए आंकड़ों की भयावहता को पुख्ता करता है. डब्ल्यू एच ओ की ताजा रिपोर्ट यह साबित करती है की दुनिया में उत्तर प्रदेश वायु प्रदूषण का एक बड़ा हब बन चुका है.” समस्या के कारणों और समाधान के बारे में सुझाव देते हुए सुश्री अनवर ने कहा “ कचरा जलाना, डीजल पेट्रोल आधारित परिवहन और कोयला आधारित उद्योग व बिजली घर आदि मिल कर हमारे शहरों को प्रदूषण का घर बना रहे हैं. कचरे का वैज्ञानिक निस्तारण, स्वच्छ ऊर्जा का अधिकतम उपयोग और जीवाश्म इंधन आधारित उद्योग धंधों को समयबद्ध तरीके से बंद करना ही भारत को स्वच्छ बना सकता है.”

इस बारे में, पर्यावरण कार्यकर्ता श्री सुनील दहिया ने कहा: “ भारत में हालात इस रिपोर्ट में दर्शाए गए आंकड़ों से ज्यादा खराब हैं. केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित नेशनल क्लीन एयर एक्शन प्लान में लक्ष्य तो बड़े बड़े रखे गएँ हैं, लेकिन उन्हें हासिल करने के लिए कोई भी ठोस कार्ययोजना नहीं बनाई गयी है, यह एक चिंताजनक तथ्य है.”